Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Draupadi story: पिछले जन्म में कौन थी द्रौपदी, भगवान शिव से मांगा था ये वरदान

    द्रौपदी महाभारत ग्रंथ के मुख्य पात्रों में से एक रही है। द्रौपदी मुख्य रूप से 5 पांडवों यानी युधिष्ठिर अर्जुन भीम नकुल और सहदेव की पत्नी के रूप में जानी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि द्रौपदी का 5 पतियों से विवाह का कारण उसके पूर्वजन्म से जुड़ा हुआ है। चलिए जानते हैं इस बारे में।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sat, 07 Jun 2025 01:29 PM (IST)
    Hero Image
    Draupadi story: द्रौपदी के पूर्वजन्म की कथा (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। द्रौपदी का नाम पंचकन्याओं में भी शामिल है, जिसमें अहिल्या, कुंती, तारा और मंदोदरी का भी नाम शामिल है। महाभारत ग्रंथ की मुख्य पात्र होने के साथ-साथ द्रौपदी को भारतीय इतिहास की सशक्त महिलाओं में भी गिना जाता है। लेकिन क्या आप द्रौपदी के पिछले जन्म की कथा के बारे में जानते हैं। अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं इस बारे में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कैसे हुआ था द्रौपदी का जन्म

    महाभारत की कथा के अनुसार, राजा द्रुपद ने एक यज्ञ किया था, जिससे उसे पुत्री के रूप में द्रौपदी और पुत्र के रूप में धृष्टद्युम्न की प्राप्ति हुई। यज्ञ से उत्पन्न होने के कारण द्रौपदी का एक नाम याज्ञनी भी है। वहीं पांचाल नरेश द्रुपद की पुत्री थी की पुत्री होने के कारण द्रौपदी को पांचाली भी कहा जाता है।

    पिछले जन्म में कौन थी द्रौपदी

    पौराणिक कथा के मुताबिक, पूर्व जन्म में द्रौपदी राजा नल और दमयंती की पुत्री नलयनी थी। नलयनी भगवान शिव की परम भक्त थी और उसने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या की थी। उसकी तपस्या से महादेव प्रसन्न हुए और उन्होंने नलयनी ने से एक वर मांगने को कहा। तब उसने यह वरदान मांगा कि मुझे सर्वगुण संपन्न पति मिले। नलयनी की यह इच्छा अगले जन्म में द्रौपदी के रूप में पूरी हुई, जिसके फलस्वरूप उनका विवाह 5 पांडवों से हुआ।

    यह भी पढ़ें - Mahabharata Katha: कौरवों को युद्ध में हराने के लिए पांडवों ने यहां किया था यज्ञ, बनाए थे हवन कुंड

    कैसे बनी 5 पांडवों पत्नी

    महाभारत में ही कथा मिलती है कि पांचाल नरेश ने द्रौपदी के स्वयंवर आयोजित किया था। इस स्वयंवर की शर्त यह थी कि जो भी राजकुमार पानी में मछली का प्रतिबिंब देखकर उसकी आंख पर निशाना लगाएगा, द्रौपदी उसे ही अपने वर के रूप में स्वीकार करेगी। अर्जुन ने भी इस स्वयंवर में भाग लिया था। अर्जुन ने स्वयंवर शर्त को पूरा करते हुए मछली की आंख पर निशाना लगाया, जिससे उसका विवाह द्रौपदी से हुआ।

    कुंती ने बिना देखे कही ये बात

    जब अर्जुन अपने बाकी भाईयों के साथ कुंती के पास पहुंचा, तो उसने उत्साह के चलते कहा कि मां हम आपके लिए कुछ लाएं हैं। कुंती किसी काम में व्यस्त थी और उसने बिना देखे ही यह कह दिया कि जो भी लाए हो पांचों भाई उसे आपस में बांट लोग। इस प्रकार द्रौपदी पांच पांडवों की पत्नी बन गई। बाद में भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को उसके पूर्व जन्म की कथा बताने हुए कहा कि 5 पांडवों से विवाह, उसे पूर्वजन्म में मिला हुआ एक वरदान है।

    यह भी पढ़ें - Mahabharat: कुंती को मिले इस वरदान से हुआ पांडवों का जन्म, जानिए किस देवता की संतान हैं कौन-सा पांडव

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।