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    Lord Hanuman: आखिर क्यों भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को कहा जाता है चिरंजीवी?

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 30 Dec 2024 08:54 PM (IST)

    ज्योतिष कुंडली में व्याप्त शनि दोष और मंगल दोष दूर करने के लिए हनुमान जी (Chiranjeevi Lord Hanuman) की पूजा करने की सलाह देते हैं। मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है। इस दिन हनुमान जी के निमित्त व्रत भी रखा जाता है।

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    Lord Hanuman: हनुमान जी को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त मंगलवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत की महिमा शास्त्रों में निहित है। धार्मिक मत है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी की उपासना करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साधक श्रद्धा भाव से मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करते हैं। ज्योतिष भी मंगलवार के दिन हनुमान की पूजा करने की सलाह देते हैं। हनुमान जी को कई नामों से जाना जाता है। इनमें एक नाम चिरंजीवी है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर क्यों भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को चिरंजीवी (Hanuman Ji Katha) कहा जाता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    क्यों कहा जाता है चिरंजीवी?

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    राम भक्त तुलसीदास जी ने अपनी रचना सुंदरकांड में हनुमान जी को चिरंजीवी (Chiranjeevi Lord Hanuman) वरदान देने का वर्णन किया है। तुलसीदास भक्तिकाल के महान कवि और राम भक्त थे। उन्होंने अपनी रचना रामचरितमानस में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चरित्र का वर्णन किया है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि ज्येष्ठ माह के पहले मंगलवार पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की भेंट हनुमान जी से हुई थी।

    अजर अमर गुननिधि सुत होहू। करहुँ बहुत रघुनायक छोहू॥

    करहुँ कृपा प्रभु अस सुनि काना। निर्भर प्रेम मगन हनुमाना॥

    इस श्लोक के माध्यम से मां सीता राम भक्त हनुमान जी को कहती हैं-हे पुत्र! आप अजर और अमर हो, आप सभी विद्याओं के ज्ञाता हो। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की कृपा आप पर बरसती रहें।

    कथा

    राजा दशरथ की आज्ञा का पालन कर भगवान श्रीराम, मां सीता और लक्ष्मण जी के साथ चौदह वर्षों के वनवास हेतु वन गये। इस दौरान लंका नरेश रावण ने माता सीता का हरण कर लिया। दशानन रावण ने मां सीता को अशोक वाटिका में रखा। भगवान श्रीराम ने हनुमान जी को लंका जाने की अनुमति दी। हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंचे। अशोक वाटिका में हनुमान जी (divine powers of Hanuman) की भेंट मां सीता से हुई। इस दौरान रामजी की अंगूठी से मां सीता ने हनुमान जी को पहचाना। तब हनुमान जी ने मां सीता से भगवान श्रीराम की चिंता प्रकट की। यह सुन मां सीता भाव-विभोर हो गई। उस समय मां सीता ने हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान दिया।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।