Mahabharat: आखिर क्यों भगवान कृष्ण ने शिशुपाल को दी थी 100 अपराध करने की छूट?
भगवान कृष्ण ने अपनी बुआ को दिए गए वचन की वजह से शिशुपाल के 100 अपराध को माफ किया था लेकिन जब उसने उस सीमा को पार कर लिया तो उसे उसके कर्मों का दंड भी दिया। कहते हैं कि श्रीकृष्ण कभी किसी को तुरंत दंड नहीं देते हैं जिसका पता इस कथा (Mahabharat Katha) से भी चलता है तो आइए इस कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक शिशुपाल था और भगवान श्री कृष्ण की बुआ का लड़का था। रिश्ते में भाई होने के बावजूद, शिशुपाल भगवान कृष्ण को बिल्कुल पसंद नहीं करता था और हमेशा उनका अपमान करता रहता था। बावजूद इसके श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने शिशुपाल के 100 अपराध माफ किए थे, जिसको लेकर लोगों के मन अक्सर यह सवाल उठता है कि आखिर इसके पीछे का कारण क्या था? तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं, जो इस प्रकार है।
सामान्य शिशुओं से अलग था शिशुपाल
महाभारत कथा (Krishna Mahabharata History) के अनुसार, जब शिशुपाल का जन्म हुआ था, तो वह सामान्य शिशुओं से अलग था। उसके चार भुजाएं और तीन नेत्र थे। यह देखकर उसके माता-पिता बहुत दुखी हो गए और उसे त्यागने का विचार करने लगे थे। तभी आकाशवाणी हुई कि ''यह बालक बहुत वीर होगा वहीं, जिसकी गोद में इसके दो से अधिक भुजाएं और नेत्र गायब हो जाएंगे, वही उसकी मृत्यु का कारण बनेगा।
विभिन्न राजकुमारों और राजाओं ने शिशुपाल को अपनी गोद में लिया, लेकिन कोई परिवर्तन नहीं हुआ। अंत में जब भगवान कृष्ण ने शिशुपाल को अपनी गोद में लिया, तो उसकी अतिरिक्त भुजाएं और नेत्र गायब हो गए। यह देखकर शिशुपाल की माता यानी मुरलीधर की बुआ बहुत चिंता में आ गईं, क्योंकि उन्हें पता चल गया था कि उनका पुत्र कृष्ण के हाथों ही मारा जाएगा।
भगवान कृष्ण ने दिया अपनी बुआ को वचन
अपनी बुआ की व्याकुलता देखकर भगवान कृष्ण ने उन्हें एक वचन दिया कि वे शिशुपाल के 100 अपराधों (Why Krishna Allowed Shishupal 100 Sins) को क्षमा करेंगे। इसके साथ ही कृष्ण भगवान ये भी जानते थे कि शिशुपाल स्वभाव से दुष्ट और अहंकारी है और वह निश्चित रूप से इतने अपराध करेगा कि उनकी प्रतिज्ञा पूरी हो जाएगी।
ऐसे हुआ शिशुपाल का अंत (Shishupal Death Reason)
बीतते दिनों के साथ शिशुपाल अहंकार और पाप बढ़ता गया। वह लगातार भगवान कृष्ण का अपमान करता रहा। वहीं, भगवान कृष्ण अपनी प्रतिज्ञा को निभाते हुए शिशुपाल के हर अपराध को धैर्यपूर्वक क्षमा करते रहें।आखिरकार वह क्षण आया जब युधिष्ठिर के वैदिक यज्ञ में शिशुपाल ने भगवान कृष्ण का घोर अपमान किया। उसने उन्हें नीच कुल का कहा और उनके स्वरूप का भी मजाक बनाया। उस दौरान शिशुपाल ने अपने अहंकार में मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ दीं और अपने 100 अपराध पूरे कर लिए।
अपनी प्रतिज्ञा का पालन करते हुए और धर्म की रक्षा के लिए, भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र का प्रयोग करके शिशुपाल का वध कर दिया। इस प्रकार श्री कृष्ण ने अपनी बुआ को दिए गए वचन का सम्मान करते हुए शिशुपाल का अंत कर दिया।
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