भगवान विष्णु ने क्यों लिया था वामन अवतार, राजा बलि से जुड़ा है कनेक्शन
सनातन धर्म में सप्ताह के सभी दिन का विशेष महत्व है। सभी दिन किसी न किसी देव-देवता को समर्पित है। इसी प्रकार से गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। धार्मिक ग्रंथों में श्रीहरि की लीला का वर्णन देखने को मिलता है। इनमें भगवान विष्णु के वामन अवतार का प्रसंग शामिल है। आइए पढ़ते हैं वामन अवतार (Lord Vishnu Vamana Avatar) के प्रसंग के बारे में।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। धार्मिक मान्यता है कि रोजाना विधिपूर्वक भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सभी तरह क सुखों की प्राप्ति होती है।
धार्मिक ग्रंथों में भगवान विष्णु के 24 अवतारों का उल्लेख देखने को मिलता है। इनमें से श्रीहरि 23 अवतार ले चुके हैं और 24वां अवतार ‘कल्कि अवतार’ में लेंगे। भगवान विष्णु ने अपना पांचवा अवतार भगवान वामन के रूप में लिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर किस कारण भगवान विष्णु ने भगवान वामन का अवतार (Vamana Avatar Ki Katha) लिया था। अगर नहीं पता, तो चलिए इससे जुड़ी कथा के बारे में विस्तार से बताते हैं।
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वामन अवतार की कथा (Vaman Avtar Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में जगत के पालनहार कहे जाने वाले भगवान विष्णु ने पांचवा अवतार वामन का लिया था। भगवान वामन ऋषि कश्यप और अदिति की संतान थी। एक बार सतयुग में राजा बलि का प्रकोप अधिक बढ़ रहा था और उन्होंने इंद्र का देवलोक को अपने कब्जे में कर लिया था। ऐसे में श्रीहरि ने इंद्र को देवलोक पर अधिकार और राजा बलि के घमंड को खत्म करने के लिए वामन अवतार लिया।
इसके बाद भगवान वामन ने ब्राह्मण का रूप धारण कर विरोचन के पुत्र तथा प्रहलाद के पौत्र बली के पास गए। भगवान वामन ने राजा बलि से 3 पग भूमि की मांग की। वहीं, गुरु शुक्राचार्य ने राजा बलि को 3 पग भूमि देने के लिए मना किया। लेकिन राजा बलि ने गुरु शुक्राचार्य की बात का पालन न कर भगवान वामन को 3 पग भूमि देने का वचन दिया।
इसके बाद भगवान वामन ने विशाल रूप धारण किया और पहले पग में पूरी पृथ्वी और दूसरे में देवलोक नाप लिया। वहीं, तीसरे में पग के लिए उनके पास कोई भी भूमि नहीं बची, तो ऐसे में राजा बलि ने तीसरे पग के लिए भगवान वामन के सामने अपना सिर कर दिया।
राजा बलि के इस काम को देख भगवान वामन बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने बलि को पाताल लोक देने के बारे में फैसला लिया। इस प्रकार से भगवान वामन ने देवी-देवताओं को देवलोक वापस दिलाया और बलि के डर से छुटकारा दिलाया।
इसके अलावा 3 पग भूमि मांगने की एक वजह यह भी थी कि राजा बलि अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे और यज्ञ के समापन होने के बाद उसका इंद्र के सिंहासन पर कब्जा हो जाता। इसी वजह से भगवान वामन ने 3 पग भूमि मांगी।
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