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    Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष में इन 3 पेड़-पौधों की पूजा से मिलेगा पितरों का आशीर्वाद, दूर होंगी सभी समस्याएं

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 05:37 PM (IST)

    सनातन धर्म में आश्विन महीने का खास महत्व है। इस महीने की शुरुआत हो चुकी है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) मनाया जाता है। इस दौरान पितरों का श्राद्ध तर्पण और पिंडदान किया जाता है। वहीं शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्र का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।

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    Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष में क्या करें और क्या न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृपक्ष पूर्वजों को याद करने, उनका आभार व्यक्त करने, उनकी सेवा और सत्कार करने के लिए समर्पित होता है। इस दौरान व्यक्ति अपने पितरों का पिंडदान करते हैं। साथ ही रोजाना अपने पितरों का तर्पण करते हैं। पितृ पक्ष को कई नामों से जाना जाता है। इसे श्राद्ध और महालय श्राद्ध भी कहा जाता है।

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    गरुड़ पुराण में पितृ पक्ष के दौरान श्रद्धा भाव से पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना चाहिए। इसके साथ ही तीन पेड़-पौधों की पूजा करनी चाहिए। इससे न केवल पितृ प्रसन्न होते हैं, बल्कि व्यक्ति पर पूर्वज अपनी कृपा भी बरसाते हैं। इसके साथ ही पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।

    पीपल (peepal tree ancestral blessings)

    सनातन धर्म में पीपल पेड़ का विशेष महत्व है। कहते हैं कि पीपल के पेड़ में पितरों का वास होता है। इसके साथ ही कई अन्य देवी-देवताओं का निवास स्थान पीपल वृक्ष में होता है। इसके लिए पितृ पक्ष के दौरान पीपल पेड़ की पूजा की जाती है। साथ ही पीपल वृक्ष को जल का अर्घ्य दिया जाता है।

    अगर आप भी पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पितृ पक्ष के दौरान पीपल के पेड़ की पूजा करें। इस समय पीपल को जल का अर्घ्य दें। साथ ही दीपक जलाकर उनकी आरती करें। इस समय सुख-समृद्धि और वंश में वृद्धि की कामना करें।

    वट वृक्ष (Vat Vriksh Pitru Paksha rituals)

    वट वृक्ष में देवताओं का वास होता है। इसके लिए नियमित रूप से वट वृक्ष की पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रख वट वृक्ष की पूजा करते हैं।

    इस वृक्ष के नीचे बैठकर देवी सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। सावित्री की पतिव्रता से प्रसन्न होकर धर्मराज ने सत्यवान को पुनः जीवित कर दिया था। इसके लिए पितृपक्ष के दौरान वट वृक्ष की पूजा अवश्य करें।

    तुलसी (tulsi worship Pitru Paksha)

    जगत के पालनहार भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। देवी तुलसी की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। अपनी कृपा साधकों पर बरसाते हैं। पितृ पक्ष के दौरान देवी मां तुलसी की पूजा करने से भगवन विष्णु प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से न केवल पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, बल्कि व्यक्ति पर भी पितरों की कृपा बरसती है।

    इसके लिए पितृ पक्ष के दौरान (रविवार और एकादशी को छोड़कर) माता तुलसी की पूजा करें। इस समय तुलसी मां को जल का अर्घ्य दें। दीप जलाकर आरती करें। वहीं, अंत में तुलसी की परिक्रमा करें। इस उपाय को करने से व्यक्ति के सुख, सौभाग्य और वंश में वृद्धि होती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।