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    2026 को बनाना चाहते हैं अपनी लाइफ का 'Golden Year', तो इन टिप्स को जरूर करें फॉलो

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 12:00 PM (IST)

    नव वर्ष पर हम बदलाव के संकल्प लेते हैं, पर अक्सर बाहरी परिस्थितियों के बदलने का इंतजार करते हैं, जिससे संकल्प फीके पड़ जाते हैं। लेखिका ब्र ...और पढ़ें

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    कुछ हफ्तों तक हमारा संकल्प मजबूत रहता है

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    ब्रह्माकुमारी शिवानी (प्रेरक वक्ता)। हर नव वर्ष आगमन पर हमारे भीतर कुछ सुंदर आशाएं जन्म लेती हैं। एक कोमल-सी आशा मन में फुसफुसाती है “इस बार मैं बदलूंगा। आने वाले 12 महीनों में मेरा जीवन अलग होगा।

    ” हम पूरी सच्चाई और ईमानदारी से और अधिक शांत रहने के, स्वस्थ बनने के, प्रसन्न रहने के, जीवन को अधिक अर्थपूर्ण बनाने के संकल्प करते हैं। कुछ हफ्तों तक हमारा संकल्प मजबूत रहता है। फिर न जाने कैसे, जीवन अपनी पुरानी लय में लौट आता है और हमारे किए संकल्प धीरे-धीरे फीके पड़ जाते हैं।

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    ऐसा क्यों होता है? इसलिए नहीं कि हमारे पास इच्छाशक्ति की कमी है! इसलिए नहीं कि हम कमजोर हैं! ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमें परिस्थितियों के परिवर्तन की प्रतीक्षा होती है। हम लोगों के बदलने की प्रतीक्षा करते हैं। हम जीवन के आसान होने की प्रतीक्षा करते हैं और हमें लगता है कि हम तभी खुश हो पाएंगे।

    लेकिन यहां एक सत्य है, जिसे हम प्रायः भूल जाते हैं। 'हम सीधे दुनिया को नहीं बदल सकते'। हम जो बदल सकते हैं, वह है दुनिया के प्रति हमारी प्रतिक्रिया, हमारे विचार, हमारे शब्द और हमारा व्यवहार। और जब यह बदलता है, तो सब कुछ बदल जाता है।

    अगर कल अलग अनुभव हो तो? कल्पना कीजिए—कल आप जागते हैं और अपने घर, अपने परिवार, अपने काम, अपने जीवन से संतुष्ट अनुभव करते हैं। आप स्वयं को बिना आलोचना स्वीकार करते हैं, और साथ ही अच्छा बनने के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं। आप दूसरों को बिना मन के विरोध के स्वीकार करते हैं, और जहां आवश्यक हो वहां समझदारी व करुणा के साथ कार्य करते हैं। चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी भीतर से आप शांत और स्थिर रहते हैं।

    आप अपने दायित्व को प्रसन्नता के साथ निभाते हैं। इसलिए नहीं कि सब कुछ परिपूर्ण है, बल्कि इसलिए कि आपने शांति को स्वीकार किया है।आप जिनसे भी मिलते हैं, उन्हें शुभकामनाएं देते हैं। आप अच्छाई पर ध्यान केंद्रित करते हैं। आप अप्रत्याशित घटनाओं का स्वागत करते हैं। कठिनाई में भी आप आशावान बने रहते हैं। अब रुककर स्वयं से पूछें, ऐसा आने वाला कल कितना अलग महसूस होगा?

    बाहर कुछ भी नहीं बदला, फिर भी भीतर सब कुछ बदल गया। जीवन का आपका अनुभव पूरी तरह रूपांतरित हो जाता है, इसलिए नहीं कि दुनिया बदल गई, बल्कि इसलिए कि आप बदल गए। यह एक विचार की शक्ति है। एक शुद्ध विचार एक सुखदाई अनुभूति पैदा करता है। वह अनुभूति आपके कर्मों को आकार देती है। वे कर्म आपका भाग्य बनाते हैं।

    परिवर्तन कभी बाहर था ही नहीं! दुनिया कहीं बाहर नहीं, वह आपके भीतर से शुरू होती है। जब आप अपने जन्मजात गुणों को प्रकट करते हैं तो आपकी दुनिया बदलती है। जब आप प्रेम से किसी को सशक्त बनाते हैं तो आपकी दुनिया बदलती है। जब आप सत्य और न्याय के लिए खड़े होते हैं तो आपकी दुनिया बदलती है। जब आप अपने अतीत से शांति का संबंध बना लेते हैं तो आपकी दुनिया बदलती है। जब आप क्षमा करते हैं तो आपकी दुनिया बदलती है।

    जैसे-जैसे आपका आंतरिक संसार बदलता है, आप स्वाभाविक रूप से अपने आसपास के सभी लोगों के लिए शांति, स्थिरता और शक्ति का स्रोत बन जाते हैं। इसके लिए मन की रक्षा करना आवश्यक है। प्रतिदिन केवल आधा घंटा ध्यान और सकारात्मक चिंतन हमारे मन का आंतरिक पोषण है। यह मन को इतना सशक्त बनाता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी हम शांत, शुद्ध और शक्तिशाली संकल्पों की रचना कर सकें।

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    आने वाले वर्ष में स्वयं को प्राथमिकता दें, क्योंकि आप महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि आपका मन आपकी सबसे बड़ी पूंजी है। प्रतिदिन केवल 30 मिनट उसे दीजिए और देखिए कि जीवन के प्रति आपकी प्रतिक्रियाएं कितनी शांत, समझदारी भरी और आनंदपूर्ण हो जाती हैं।