Independence Day 2025: जीवन जीन की राह दिखाते हैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ी ये महत्वपूर्ण बातें
स्वतंत्रता (Independence Day 2025) को एक व्यापक अवधारणा के रूप में देखा जाना चाहिए जिसमें न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता बल्कि व्यक्तिगत और आध्यात्मिक स्वतंत्रता भी शामिल है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बात करें तो वह तब है जब हर व्यक्ति को अपनी क्षमताओं और प्रतिभा को विकसित करने और अपने जीवन का निर्णय लेने की स्वतंत्रता हो।
मोरारी बापू (प्रसिद्ध कथावाचक)। स्वतंत्रता (Independence Day 2025) का अर्थ है, "स्व + तंत्र" अर्थात खुद के तंत्र में रहना। किसी दूसरे की व्यवस्था में नहीं, बल्कि अपनी व्यवस्था बनाकर रहना। गीता में भी अपने स्वभाव में रहकर जीने की बात की गई है। ध्यान रखना है कि व्यवस्था ऐसी हो, जो किसी दूसरे को अव्यवस्थित न कर दे। यह बात व्यक्तिगत रूप से भी, पारिवारिक रूप से भी और समाज व राष्ट्र के स्तर पर भी लागू हो। यह व्यवस्था आत्म-नियंत्रण और आत्म-साक्षात्कार से भी जुड़ी हो।
स्वाधीन राष्ट्र वह है, जिसके पास सृजन शक्ति हो। किसी भी क्षेत्र में जो सृजन कर सकते हैं, उनके लिए पालन-पोषण की कोई चिंता न रहने दी जाए। उन्हें सृजन के अवसर दिए जाएं। व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बात करें तो वह तब है, जब हर व्यक्ति को अपनी क्षमताओं और प्रतिभा को विकसित करने और अपने जीवन का निर्णय लेने की स्वतंत्रता हो। राजनीतिक स्वतंत्रता तब है, जब देशवासियों में एकता और अखंडता बनी रहे। आध्यात्मिक स्वतंत्रता तब है, जब व्यक्ति अपने अहंकार से मुक्त हो जाता है और भगवान के प्रति समर्पण करता है।
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स्वतंत्रता का अर्थ (morari bapu ji quotes) यह कदापि नहीं है कि हम कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हैं, बल्कि हमें अपनी स्वतंत्रता का उपयोग जिम्मेदारी से करना चाहिए। हम अपनी जिम्मेदारी को भी समझते रहें। स्वतंत्रता का मिलना ही महत्वपूर्ण नहीं होता, बल्कि उसका उपयोग करना भी महत्वपूर्ण होता है। हमें स्वाधीनता दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी से जुड़ी चार चीजों को हम सब जानते हैं- चश्मा, घड़ी, चप्पल और लाठी।
चश्मे की बात करें तो कह सकते हैं कि महात्मा गांधी निकट वाले को भी देखते थे और दूर वालों को भी। वो समदृष्टि वाले थे। समदर्शन गांधी का दर्शन है। यानि व्यवस्था होनी चाहिए विषमता नहीं। स्वाधीनता का उपयोग ऐसे हो कि किसी के भी साथ विषमता न की जाए और न ही होने दी जाए।
अब बात करते हैं गांधीजी (Lessons on Life from Gandhi) की घड़ी की। घड़ी काल, समय का प्रतीक है। देशकाल के अनुसार निर्णय करने की क्षमता ही स्वाधीनता है। महात्मा गांधी घड़ी को कमर यानी कटिभाग पर रखते थे।
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यह संयम का संदेश है और धैर्य व शौर्य का भी प्रतीक है। स्वाधीनता की सार्थकता तभी है, जब शौर्यता के साथ-साथ धैर्य और संयम भी हो। अच्छा समय हो तो भी संयम, बुरा समय हो तो भी संयम। अच्छे काल में बहक न जाएं और समय खराब हो तो कमज़ोर न पड़ जाएं।
महात्मा गांधी की चप्पल सत्य, अहिंसा और प्रेम की राह पर चलने की सीख देती हैं जबकि लाठी यानि दंड सबको वंदन करने का प्रतीक है और जरूरत पड़ने पर प्रहार करने का प्रतीक भी। सबके प्रति वंदन का भाव हो भी और जरूरत पड़े तो पूरी ताकत के साथ प्रतिकार करने की क्षमता भी हमारे हाथ में हो।
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