Guru Nanak Jayanti 2025: गुरु नानक देव जी ने सोते हुए भारत को जागने की प्रेरणा दी
गुरु नानक देव जी भारतीय संस्कृति के महान उन्नायक थे, जिन्होंने लगभग दो दशक तक भारत और एशिया में गुरमत दर्शन का प्रचार किया। उन्होंने 'किरत करना', 'वंड छकना' और 'नाम जपना' के जीवन मूल्यों पर जोर दिया। वे एक महान चिंतक और दार्शनिक थे, जिन्होंने बाबर के आक्रमण का विरोध किया और भारतीयों को अपने धर्म, भाषा व संस्कृति के प्रति जागृत किया। उनकी वाणी कर्म, धर्म, श्रम, समानता, नैतिकता, त्याग, सेवा और भाईचारे के महत्व को सिखाती है, जो एक संतुलित और प्रेमपूर्ण समाज के लिए आवश्यक है। उनका चिंतन आज भी प्रासंगिक है और श्री गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित है।

Guru Nanak Jayanti 2025: गुरु नानक जयंती का धार्मिक महत्व
पद्मश्री प्रो. हरमहेंद्र सिंह बेदी (चांसलर, केंद्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश)। गुरु नानक देव जी भारतीय संस्कृति के महान उन्नायक है। गुरु नानक वाणी में भारतीय चिंतन की अखंड यात्रा प्राप्त होती है। गुरु नानक देव लगभग दो दशक भारत एवं एशिया के देशों में भ्रमण कर गुरमत दर्शन, भारतीय संस्कृति और भारतीय चिंतन का प्रचार-प्रसार करते रहे। एशिया के देशों को उन्होंने नई जीवन-युक्ति दी। यह जीवन-युक्ति थी किरत करना (परिश्रम व सत्यनिष्ठा से जीविका चलाना), वंड छकना (दूसरों से बांटकर खाना) और नाम जपना (श्रद्धा से प्रभु का स्मरण करना)। यह युक्ति महान जीवन मूल्यों से जुड़ी हुई थी।
गुरु नानक देव जी अपने समय के महान चिंतक, आध्यात्मिक नायक और अभूतपूर्व दार्शनिक थे। उन्होंने बिना संकोच उस समय की राजनीति पर भी अपने मौलिक चिंतन से मौलिक टिप्पणियां लिखीं। बाबर के आक्रमण का विरोध केवल गुरु नानक वाणी में ही मिलता है। उन्होंने सोते हुए भारत को जागने की प्रेरणा दी और बाबर को जाबर कहा।
बाबर वाणी में गुरु नानक देव जी ने केवल बाबर के आक्रमण का ही उललेख नहीं किया, बल्कि उसके दुष्प्रभावों को भी रेखांकित किया। भारतीय जनमानस को प्रेरणा दी कि अपना धर्म, अपनी भाषा व वेश-भूषा सर्वोत्तम जीवन मूल्य होते है, इसके बिना अलग पहचान नहीं बनाई जा सकती।
गुरु नानक देव जी के इस चिंतन ने लोगों को नवजागरण से जोड़ा। गुरु नानक देव जी ने भारतीयों को अपने धर्म, सभ्यता और संस्कृति से अनुराग करना सिखाया। उनका चिंतन मौलिक है और नए जीवन मूल्यों के प्रति लोगों को नवजागरण से जोड़ने वाला है। बहुत बड़ी शिक्षा आज के प्रसंग में यह भी है कि कर्म, धर्म, श्रम और बराबरी के मूल्यों को अगर समाज में हम रखते है, तो उससे संतुलन भी कायम होता है। परस्पर प्रेम भी बढ़ता है और भविष्य की संभावनाओं को भी हम सहज ही आत्मसात कर लेते है।
युगीन संदर्भों में गुरु नानक की वाणी हमें यह भी सिखाती है कि श्रम के बिना विकास के मार्ग पर नहीं चला जा सकता। नैतिकता के बिना सफल जीवन नहीं गुजारा जा सकता। त्याग, सेवा, भाईचारा एवं परस्पर सौहार्द की भावना ही अच्छे समाज और राष्ट्र को सर्वोत्तम बनाते है। गुरु नानक वाणी का यही अमर संदेश है कि अपने जीवन मूल्यों के प्रति हम आत्मविकास करें और सामाजिक मूल्यों को यथासंभव अपने जीवन में धारण करे, अनुसरण करें और अच्छे चिंतन के साथ अपने जीवन आदर्शों को अपनाएं।
गुरु नानक देव के व्यक्तित्व व कृतित्व के हम निरवैर, निर्भय और वाहेगुरु की सत्ता में रहकर अपने भीतर के गुणों का विकास भी कर सकते है। संतुष्टि और आत्मविश्वास में आस्था रख उस मार्ग पर सहज ही चल सकते हैं, जिसका उद्देश्य मानवता की सेवा और उस सेवा के द्वारा परम सुख की प्राप्ति है। गुरु नानक देव जी की संपूर्ण वाणी श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में संकलित है।
मध्यकालीन भारतीय चिंतन पर गुरु नानक वाणी का महत्वपूर्ण प्रभाव है। गुरु नानक देव जी के चिंतन के प्रचार-प्रसार के लिए पंजाब के अनेक संतों, महात्माओं ने गुरबाणी का अनुसरण किया तथा गुरु नानक देव जी के द्वारा प्रदत्त दार्शनिक चिंतन का प्रचार प्रसार किया। आज भी हम पंजाब में रचित साहित्य की ज्ञान धारा को गुरु नानक वाणी के माध्यम से समझ सकते है।
गुरु नानक देव जी के जन्म उत्सव पर गुरु नानक वाणी के आगे नतमस्तक होने का अर्थ है भारतीय चिंतन, दर्शन, इतिहास और आध्यात्मिक के प्रति गहरी आस्था रखना और इस आस्था के साथ सामाजिक, पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन मूल्यों के प्रति अपने जीवन को समर्पित करना। यही अमर संदेश है गुरु नानक वाणी का।

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