Sawan 2025: अमंगल चिह्नों को धारण करते हुए भी मंगलमय हैं भगवान शिव, जल्दी होते हैं प्रसन्न
हिंदू धर्म में सावन को विशेष महत्व दिया गया है जो हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना है। इस अवधि को शिव जी की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही उत्तम माना गया है। इस माह में भगवान शिव के निमित्त सावन सोमवार का व्रत भी किया जाता है जिसे लेकर यह मान्यता है कि इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
आचार्य मिथिलेशनन्दिनीशरण सिद्धपीठ श्रीहनुमन्निवास, श्री अयोध्याजी। श्रीमद मद्भागवत महापुराण के अनुसार भगवान शंकर समस्त विद्याओं के प्रवर्तक और सारे प्राणियों के हृदय में विराजमान अंतर्यामी प्रभु हैं। जगत के जितने भी संत हैं, उनके एकमात्र आश्रय और आदर्श भी वही हैं।
समझ आते हैं जीवन के गहरे अर्थ
भगवान शिव के आदर्श का चिंतन करते हुए हमें जीवन के गहरे अर्थ समझ में आते हैं। महिम्न स्तोत्र में कहा गया है- 'अमङ्गल्यं शीलं तव भवतु नामैवमखिलं। तथापि स्मर्तृणां वरद परमं मङ्गलमसि।' अर्थात हे महादेव ! यद्यपि श्मशान में निवास, भूत-पिशाचों का साथ, चिताभस्म-लेपन तथा मुंडमाल-धारण आदि आपका आचरण प्रकट रूप से अमंगल ही है, तथापि आपका नाम-स्मरण करने वालों का सर्वविध मंगल होता है।
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मिलता है ये सुंदर संदेश
शिव का यह वैशिष्ट्य जीवन के लिए एक सुंदर संदेश रचता है कि अपनी आध्यात्मिक निष्ठा द्वारा भौतिक अमांगल्य पर विजय प्राप्त करना ही दिव्य जीवन है। शंकर जी अमंगल चिह्नों को धारण करते हुए परम मंगलमय हैं।
श्रीरामचरितमानस की पंक्ति है - 'नाम प्रताप संभु अबिनासी। साज अमंगल मंगल रासी।' जीवन विविध वस्तुओं और परिस्थितियों का विराट सामंजस्य है। मनुष्य इस विविधता के बीच अपनी अनुकूलताओं को खोजता हुआ तथा प्रतिकूलताओं से लड़ता हुआ दुख भोगता रहता है।
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शीघ्र प्रसन्न होते हैं भोलनाथ
भगवान शिव के स्वरूप का स्मरण उसे प्रतिकूलताओं में सहज होने और उनके बीच आत्मकल्याण का पथ प्रशस्त करने हेतु प्रेरित करता है। भगवान शिवजी के नाम अघोर एवं आशुतोष हैं, अर्थात वे अच्छे-बुरे के द्वंद्व से रहित और शीघ्र प्रसन्न होने वाले हैं।
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