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    Sawan 2025: शिव सिखाते हैं सादगी में ही है आत्मिक शांति, पढ़ें सावन का धार्मिक महत्व

    सनातन धर्म में सावन (Sawan 2025) के महीने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस माह में देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और शिव जी की कृपा से सभी मुरादें पूरी होती हैं।आइए पढ़ते हैं सावन का धार्मिक महत्व।

    By Jagran News Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 03 Aug 2025 09:58 AM (IST)
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    Sawan 2025: सावन माह का धार्मिक महत्व

    शैलबाला पण्ड्या (अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख)। 'सावन मास' हिंदू धर्म में एक ऐसा काल है जब प्रकृति भी मानो भक्तिभाव में लीन हो जाती है। आसमान से गिरती शीतल वर्षा की बूंदें, हरियाली से सजी धरती और गूंजते 'बोल बम' के स्वर, यह सब मिलकर एक अद्भुत आध्यात्मिक वातावरण रचते हैं।आइए पढ़ते हैं सावन का धार्मिक महत्व।

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    ऐसे समय में लाखों श्रद्धालु गंगाजल लेकर कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, वरन् आत्मा की शुद्धि और शिवत्व की खोज की यात्रा है। भगवान शिव भस्म रमाए, जटाधारी हैं। उनके पास कोई आभूषण नहीं, केवल सर्पों की माला और त्रिशूल है। यह सिखाता है कि विलासिता में नहीं, सादगी में ही आत्मिक शांति है। वे एक ओर गहन तपस्या में लीन हैं, तो दूसरी ओर एक आदर्श गृहस्थ भी हैं। पार्वती के पति, गणेश-कार्तिकय के पिता शिव सिखाते हैं कि

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    संन्यास और सामाजिक जिम्मेदारी का संतुलन जीवन का सच्चा मार्ग है। सावन मास में शिवलिंग पर जल चढ़ाना जितना पुण्यदायी है, उतना ही जरूरी है अपने आचरण में शिव के गुणों को उतारना। सच्ची भक्ति तब होती है, जब हम अपने भीतर के अहंकार, ईर्ष्या, क्रोध और आलस्य को त्यागकर शिव की तरह सहिष्णु, सरल और समदर्शी बनते हैं।

    जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकला विष पी लिया, तो उन्होंने पूरे जगत की रक्षा की। वे दुख सहकर भी शांत और करुणामय बने रहे। शिव में ही संसार है और शिव ही मोक्ष का द्वार हैं। जब सृष्टि में अंधकार छा गया था, जब जल ही जल था, तब भी भगवान शिव ही विद्यमान थे। यही कारण है कि शिव जी को अनादि और अनंत कहा गया है।

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