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    Sawan 2025: भक्तों के भाव से प्रसन्न होते हैं देवों के देव महादेव, बरसती है विशेष कृपा

    By Jagran News Edited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 15 Jul 2025 12:58 PM (IST)

    प्रभु श्रीराम के गुरु शिव हैं। रामेश्वरम् में स्वयं श्रीराम ने शिवलिंग स्थापित करके पूजन किया। इसके बाद लंका पर चढ़ाई की। देवों के देव महादेव (Sawan 2025 Importance) ओंकार भी हैं और संहारक भी। जिन भूत-प्रेत व पिशाचों को कोई अपने साथ नहीं रखना चाहता। सभी उनसे दूरी बनाते हैं।

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    Sawan 2025: देवों के देव महादेव को कैसे प्रसन्न करें?

    स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी (महंत टीकरमाफी आश्रम)। भगवान शिव शक्ति का स्वरूप हैं। शिव में सनातन संस्कृति का दर्शन समाहित है। शिव चेतना की समस्त अवस्थाएं (जागृत, निंद्रा व स्वप्न) से ऊपर हैं। इनकी चेतना की अवस्था समाधि है। जब व्यक्ति व जीव के अंदर ईश्वर देखने की इच्छा जाग्रत होती है तो वह समाधि लेता है।

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    समाधि की उस परम अवस्था को शिवत्व कहते हैं। शिवलिंग की पूजा निराकार से साकार को प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है। शिव को प्राप्त करने के लिए शिवलिंग की साधना की जाती है। शिवलिंग जल, पंचमहाभूत-पृथ्वी, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतीक है। वास्तव में शिव पूजन नहीं, बल्कि दर्शन के पर्याय हैं।

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    इसी कारण वह सबसे अलग हैं। उन्हें वैद्यनाथ यानी चिकित्सा के गुरु, नटराज यानी नृत्य के गुरु, आदियोगी यानी योग के गुरु कहा जाता है। प्रभु श्रीराम के गुरु शिव हैं। रामेश्वरम् में स्वयं श्रीराम ने शिवलिंग स्थापित करके पूजन किया। इसके बाद लंका पर चढ़ाई की। शिव ओंकार भी हैं और संहारक भी। जिन भूत-प्रेत व पिशाचों को कोई अपने साथ नहीं रखना चाहता। सभी उनसे दूरी बनाते हैं।

    उन्हीं को भगवान शिव अपना गण बनाकर ससम्मान साथ रखते हैं। भगवान शिव भोलेनाथ हैं जो भक्तों के भाव से प्रसन्न हो जाते हैं। समुद्र मंथन से विष निकलने पर जब चहुंओर हाहाकार मच गया, तब कंठ में विष धारण करके भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा की। जब परिस्थिति विपरीत होती है उस समय रौद्र रूप धारण करके भगवान शिव तांडव भी करते हैं। हर व्यक्ति को स्वयं के अंदर शिवत्व धारण करना चाहिए।

    सावन शिवरात्रि कब है?

    23 जुलाई को सुबह 04 बजकर 39 मिनट पर सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि शुरू होगी। वहीं, 24 जुलाई को देर रात 02 बजकर 28 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी। चतुर्दशी तिथि पर निशाकाल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इस प्रकार 23 जुलाई को सावन शिवरात्रि मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का समय देर रात 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है।

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