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    Janmashtami 2025: किस दिशा में लगाएं लड्डू गोपाल का झूला? जानिए सजावट का महत्व

    पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 15 अगस्त को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसे में आइए जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार लड्डू गोपाल जी का झूला किस दिशा में लगाने से आपको अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

    By Digital Desk Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 12 Aug 2025 02:11 PM (IST)
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    Laddu Gopal Jhula Vastu Tips (Picture Credit: Freepik)

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। जन्माष्टमी (Janmashtami 2025) की रात जब मंदिरों में घंटियां गूंजती हैं, भजन-कीर्तन की मधुर स्वर लहरियां वातावरण को पवित्र बना देती हैं और घड़ी की सुइयां ठीक 12 पर ठहर जाती हैं। उसी क्षण लड्डू गोपाल के झूले को झुलाने की परंपरा भक्तों के हृदय को आनंद और भक्ति से भर देती है।

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    यह केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का आमंत्रण भी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर झूला सही दिशा और विधि से सजाया जाए, तो उसका शुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

    1. झूला किस दिशा में रखें?

    वास्तु विशेषज्ञ मानते हैं कि लड्डू गोपाल का झूला उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ है। यह दिशाएं देवताओं के वास की मानी जाती हैं और यहां से घर में शांति, सौभाग्य और आशीर्वाद का प्रवाह होता है। झूले में विराजमान श्री कृष्ण (Janmashtami 2025) का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए, ताकि उनका दिव्य दर्शन घर में आने वाली हर सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सके।

    2. झूले का रंग - शुभता और सौंदर्य का मेल

    जन्माष्टमी के पावन अवसर पर झूले का रंग भी महत्व रखता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पीला (आनंद और उन्नति का प्रतीक), सफेद (शांति और पवित्रता), हल्का नीला (आकाश और अनंतता) और सुनहरा (समृद्धि और तेज) रंग विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। इन रंगों में सजा झूला न केवल सुंदर दिखता है बल्कि शुभ ऊर्जा भी फैलाता है।

    3. झूले की सामग्री - परंपरा और शास्त्र का संगम

    सबसे उत्तम– लकड़ी का झूला, जो स्थिरता और प्राकृतिक ऊर्जा का प्रतीक है।

    अन्य शुभ विकल्प– चांदी या पीतल से निर्मित झूला, जो समृद्धि और पवित्रता को बढ़ाता है।

    इनसे बचें– स्टील या लोहे के झूले, क्योंकि इन्हें वास्तु में अशुभ माना गया है।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    4. झूले की सजावट - भक्ति में कला का स्पर्श

    जन्माष्टमी पर झूले की सजावट (Janmashtami 2025 Jhula Direction) एक कला है, जिसमें भक्ति का भाव और सौंदर्य का संगम होता है।

    • फूलों की महक - तुलसी, गेंदे और गुलाब के फूलों से सजावट, जो वातावरण को पवित्र बनाते हैं।
    • हरे तोरण - आम के पत्तों से सजा तोरण, जो घर में शुभ ऊर्जा का प्रवेश कराता है।
    • सजावटी सामग्री - रेशमी कपड़े, मोती-मणि, मोर पंख और रंग-बिरंगी झालर, जो झूले को स्वर्गिक रूप देते हैं।

    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।