क्या साइबर अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं AI चैटबॉट्स? ChatGPT, Grok और Meta AI ने दिए ऐसे रिजल्ट्स
ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में AI के इस्तेमाल से चिंता बढ़ गई है। जांच में पाया गया कि Grok जैसे AI चैटबॉट आसानी से फिशिंग ईमेल बना रहे हैं जबकि ChatGPT और Meta AI ने भी कुछ शर्तों के साथ ऐसे ईमेल तैयार किए। Google के Gemini और Anthropic के Claude ने फिशिंग ईमेल बनाने से इनकार कर दिया।

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ वक्त में ऑनलाइन फ्रॉड के मामले काफी ज्यादा बढ़ गए हैं। कुछ स्कैमर्स तो लोगों को निशाना बनाने के लिए अब AI का भी इस्तेमाल कर रहे हैं और लोगों को AI से लिखवा कर ऐसे मैसेज भेज रहे हैं जो बिलकुल असली लगते हैं। हाल ही में हुई जांच से यह भी पता चला है कि कुछ सबसे पॉपुलर एआई चैटबॉट्स तो मिनटों में फिशिंग ईमेल बना देते हैं, जबकि कुछ मॉडल्स इन कामों को करने के लिए साफ इंकार कर रहे हैं। ऐसे में सवाल ये है कि क्या सच में अब क्या AI चैटबॉट्स साइबर अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं? चलिए जानें...
ChatGPT, Grok और Meta AI ने बनाए फिशिंग ईमेल
दरअसल हाल ही में अलग-अलग AI चैटबॉट्स से फिशिंग ईमेल बनाने के लिए कहा गया जिसके नतीजे सभी को चौंकाने वाले थे। टेस्टिंग के दौरान पता चला कि xAI का Grok बिना प्रश्न किए ही वरिष्ठ नागरिकों को टारगेट करने वाला फिशिंग ईमेल तैयार कर देता है साथ ही उसमें नकली डेडलाइन डालकर इसे काफी ज्यादा रियल बना देता है।
वहीं, जब OpenAI के GPT-5 मॉडल से ये काम करने के लिए कहा गया तो शुरू में तो उसने इनकार कर दिया, पर जब बताया गया कि यह एजुकेशनल अवेयरनेस के लिए है तो उसने बैंक-संबंधी फिशिंग ईमेल और उन ईमेलों में उपयोग की जाने वाली टेक्नोलॉजी के बारे में लाइन-बय-लाइन एनोटेशन भी दिया जो अगर गलत हाथों में चला जाए तो काफी मुश्किल खड़ी कर सकता है। Meta AI ने भी कुछ सवाल-जवाब करने के बाद इसी तरह का फिशिंग मैसेज तैयार कर दिए।
हालांकि इस टेस्टिंग में Google’s के Gemini और Anthropic के Claude ने चौंकाने वाले नतीजे दिए। इन AI चैटबॉट्स से कई बार रिक्वेस्ट करने के बाद भी किसी तरह के फिशिंग ईमेल नहीं बनाए। इस काम के लिए इन चैटबॉट्स ने फिशिंग कंटेंट देने से साफ इंकार कर दिया है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार Google ने जोखिमपूर्ण प्रतिक्रियाओं की पहचान के बाद अपने मॉडल में अतिरिक्त सुरक्षात्मक उपाय लागू किए हैं।
एक्सपेरिमेंट का रिजल्ट भी चौंकाने वाला
इतना ही नहीं इस एक्सपेरिमेंट का रिजल्ट भी चौंकाने वाला था जहां एक टेस्टिंग में इन इमेल्स को 108 वरिष्ठ नागरिकों को भेजा गया जिसमें टेस्टिंग के दौरान लगभग 11% लोगों ने इन ईमेल में दिए गए लिंक पर क्लिक किया। इससे यह साफ हो जाता है कि ऐसे एआई-जेनरेटेड मैसेज रियल वर्ल्ड में कितना ज्यादा प्रभाव डाल सकते हैं।
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