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    असंभव को 'संभव' करेगा AI, डेथबॉट कराएगा गुजर चुके अपनों से सीधी बात!

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 08:00 PM (IST)

    AI की मदद से 'डेथबॉट' तैयार किए जा रहे हैं जो मृत स्वजनों की आवाज, बोलने के तौर-तरीके और व्यक्तित्व का आकलन करते हैं। ये डेथबॉट प्रियजन के ईमेल और सोशल मीडिया पोस्ट की मदद से बनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य स्वजनों के निधन से डिप्रेशन में जाने वाले अतिसंवेदनशील लोगों को बचाव प्रदान करना और भावनात्मक सहारा देना है।

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    डेथ इकोनोमी के रूप में नया बाजार तैयार करने की तैयारी में 'डिजिटल आफ्टरलाइफ इंडस्ट्री। 

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपको भी अपने किसी प्रियजन के गुजर जाने के बाद उनकी याद सताती है? क्या आपको लगता है कि काश! मेरे दादा या मेरी नानी जिंदा होतीं तो मैं उनसे अपने दिल की बात कहकर अपना मन हल्का कर लेता/लेती। तो अब ये संभव है। चौंकिए नहीं, AI के दौर में सबकुछ संभव है।

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    विज्ञानियों ने ऐसी इंटरैक्टिव AI डिवाइस तैयार की हैं, जो आपके स्वजनों के लहजे में ही आपसे बात करेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब सिर्फ जीवित लोगों के सहायक के रूप में नहीं, बल्कि मृतकों की यादों को 'सजीव' करने के उपकरण के रूप में भी तेजी से विकसित हो रहा है। टेक्स्ट-आधारित चैटबाट से लेकर वायस अवतार तक, डिजिटल आफ्टरलाइफ इंडस्ट्री ऐसे समाधान ला रही है जिनसे लोग अपने गुजरे प्रियजनों से बातचीत जैसी अनुभूति पा सकें।

    ये समाधान उन लोगों के लिए खासतौर पर उपयोगी कहा जा सकता है, जो अत्यधिक संवेदनशील होते हैं और अपने स्वजन के गुजरने की वजह से डिप्रेशन में जाने की आशंका होती है। किंग्स कालेज लंदन और कार्डिफ यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता ईवा नीटो मैकैवाय और जेनी किड द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि मृतकों से 'बात' करने का ये अनुभव जितना आकर्षक लगता है, उतना ही असहज और कृत्रिम भी हो सकता है।

    अध्ययन के मुताबिक, 'डेथबाट' ऐसे AI सिस्टम हैं जो किसी व्यक्ति की डिजिटल छाप- जैसे आवाज, संदेश, ईमेल और सोशल मीडिया पोस्ट- का उपयोग करके उनका संवादधर्मी अवतार तैयार करते हैं। शोधकर्ताओं ने इन तकनीकों को समझने के लिए अपने ही वीडियो, वॉयस नोट्स और टेक्स्ट डेटा अपलोड कर 'डिजिटल डबल' बनाए और फिर उनसे बातचीत की।

    शोधकर्ताओं ने बताया कि इन प्लेटफार्म्स का दावा है कि वे 'भावनात्मक रूप से प्रामाणिक' अनुभव देते हैं, पर वास्तविकता में वे भावनाओं की गहराई को समझ ही नहीं सकते।

    'डेथ इकोनॉमी' से फैलेगा नया कारोबार

    इंडस्ट्री में अलग-अलग तरह के चैटबाट तैयार किए जा रहे हैं। कई प्रणालियों का उद्देश्य सिर्फ यादों को सुरक्षित कर उन्हें सुगठित रूप में प्रस्तुत करना है, जबकि कुछ प्लेटफॉर्म लगातार बातचीत करने वाले चैटबाट बना रहे हैं। इस पूरे प्रयोग के पीछे एक मजबूत व्यवसायिक मॉडल भी छिपा है। डिजिटल आफ्टरलाइफ कंपनियां सब्सक्रिप्शन, प्रीमियम फीचर और स्वास्थ्य या बीमा कंपनियों से साझेदारी के जरिये इन सेवाओं का बाजार तैयार कर रही हैं। विशेषज्ञों ने इसे 'डेथ इकोनॉमी' कहा है, जहां किसी व्यक्ति के गुजर जाने के बाद भी उसका डेटा लाभ का स्त्रोत बना रहता है।

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