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    GST काउंसिल की अहम बैठक 3-4 सितंबर को, TV, AC और वॉशिंग मशीन हो सकती हैं सस्ती

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 09:25 PM (IST)

    GST काउंसिल की 3-4 सितंबर की अहम मीटिंग में जीएसटी 2.0 पर बड़े फैसले हो सकते हैं। इसमें टैक्स स्लैब को दो हिस्सों में बांटने कॉम्प्लायंस आसान करने और छोटे बिजनेस का बोझ कम करने पर चर्चा होगी। नए मॉडल में 5% जरूरी सामान पर 18% ज्यादातर सामान पर और 40% ‘सिन टैक्स’ गुटखा-तमाकू जैसे प्रोडक्ट्स पर लगाया जा सकता है। इससे कीमतें घटने की उम्मीद है।

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    GST काउंसिल की 3-4 सितंबर को अहम मीटिंग होने जा रही है। Photo- Gemini AI.

     टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में जीएसटी काउंसिल 3-4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में दो दिन की मीटिंग करेगी। इसमें जीएसटी रिफॉर्म्स पर चर्चा होगी, जिनमें टैक्स रेट कम करना, कॉम्प्लायंस आसान बनाना और स्ट्रक्चरल सुधार शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि नया मॉडल दो स्लैब वाला हो सकता है- 0-5% जरूरी सामान पर और 12-18% ज्यादातर प्रोडक्ट्स पर, जबकि गुटखा-तम्बाकू जैसे डिमेरिट प्रोडक्ट्स पर 40% सिन टैक्स रहेगा। इससे होम अप्लायंस जैसे एसी, टीवी और वॉशिंग मशीन जैसे प्रोडक्ट्स सस्ते हो सकते हैं।

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    बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिटी यूनियन बैंक के 120वें फाउंडेशन डे पर सीतारमण ने कहा कि जीएसटी रिफॉर्म्स का मकसद इकोनॉमी को 'पूरी तरह ओपन और ट्रांसपेरेंट' बनाना है और छोटे बिजनेस के लिए कॉम्प्लायंस बोझ कम करना है। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने नेक्स्ट-जेनरेशन रिफॉर्म्स के लिए टास्क फोर्स बनाई है, जो स्टार्टअप्स, एमएसएमई और उद्यमियों के लिए आसान इकोसिस्टम बनाने पर फोकस करेगी।

    सीतारमण ने कहा, 'नेक्स्ट-जेन जीएसटी रिफॉर्म्स का प्लान, जो कल से शुरू हो रही काउंसिल मीटिंग में होगा, छोटे बिजनेस के बोझ को और घटाएगा और उन्हें ग्रोथ के लिए आसान माहौल देगा।' उन्होंने बैंकों की भूमिका पर भी जोर दिया, खासकर विकसित भारत 2047 के विजन में क्रेडिट बढ़ाने, इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट और एमएसएमई और गरीबों को समय पर फंडिंग देने में।

    एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये रिफॉर्म्स टैक्स स्ट्रक्चर को आसान बनाएंगे। एनपीवी एंड एसोसिएट्स के बृजेश गांधी ने पब्लिकेशन को बताया कि जीएसटी 2.0 में मौजूदा 5%, 12%, 18% और 28% स्लैब्स को मिलाकर नया सिस्टम बनेगा: 5% जरूरी सामान पर, 18% ज्यादातर सामान पर और 40% गुटखा-तम्बाकू जैसे प्रोडक्ट्स पर।

    गांधी ने कहा: 'टूथपेस्ट, छतरी, सिलाई मशीन और छोटे वॉशिंग मशीन 5% मेरिट स्लैब में आएंगे। जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स, एसी, टीवी, छोटे कार और टू-व्हीलर्स 28% से 18% स्लैब में जाएंगे। इससे टैक्स बोझ 10% तक घटेगा और फेस्टिव सीजन से पहले कीमतें कम हो सकती हैं।'

    उन्होंने आगे कहा कि सीमेंट भी 28% से घटकर 18% पर आ सकता है, जिससे कंस्ट्रक्शन सेक्टर को राहत मिलेगी। वहीं खेती, टेक्सटाइल और इंश्योरेंस प्रीमियम को भी इनपुट कॉस्ट और छूट से फायदा हो सकता है, जिससे प्रोडक्शन, सेल और घरों की अफोर्डेबिलिटी बढ़ेगी।

    मार्केट ने इसे पॉजिटिव लिया है और कंजम्प्शन बढ़ने, महंगाई कम होने और फेस्टिव सीजन में डिमांड बढ़ने की उम्मीद है। ई-कॉमर्स कंपनियां बड़े प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ने की तैयारी कर रही हैं। हालांकि कुछ राज्यों को राजस्व नुकसान की चिंता है, लेकिन मोटे तौर पर माना जा रहा है कि अगर सही तरीके से लागू हुआ तो जीएसटी 2.0 अफोर्डेबिलिटी और लंबे समय की ग्रोथ बढ़ाएगा। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (BCIC) ने सभी से कहा है कि अफवाहों से बचें और ध्यान दें कि फैसले सेंटर-स्टेट मिलकर लेते हैं।

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