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    AI की दुनिया का नया 'तेल' है इंडियन डेटा: क्यों Google और OpenAI के लिए भारत अब सिर्फ बाजार नहीं, एक मजबूरी है?

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 03:50 PM (IST)

    भारत सस्ते डेटा और यंग मोबाइल-एक्टिव आबादी के दम पर दुनिया का सबसे बड़ा AI टेस्ट बेड बन गया है। ChatGPT से लेकर Gemini तक, भारत ग्लोबल AI कंपनियों का ...और पढ़ें

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    भारत ने लीडिंग LLMs के लिए टॉप मार्केट के तौर पर अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है। Photo- Gemini AI.

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। ChatGPT से लेकर Gemini तक, भारत ग्लोबल AI दिग्गजों के लिए सबसे बड़ा यूजर बेस बन गया है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के भविष्य को ट्रेन करने के लिए जरूरी डेटा और फीडबैक लूप दे रहा है। ऐसे में अब भारत में एक सिर्फ बाजार नहीं रहा, बल्कि नेगोशिएशन की स्थिति तक आ पहुंचा है। खास तौर पर एक ऐसे समय में जब अमेरिकी सत्ता परिवर्तन के बाद से जब ट्रंप भारत के साथ टैरिफ को लेकर आक्रामक रणनीति अपना रहे हैं। भारत अमेरिकी कंपनियों को ट्रेनिंग के लिए रॉ-डेटा देकर को-डेवलपर की भूमिका भी निभा रहा है। आइए आंकड़ों के जरिए समझते हैं कि भारत कैसे दुनिया का सबसे बड़ा AI टेस्टबेड बन गया है। 

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    क्या होता है AI टेस्टबेड या टेस्टबेड?

    AI टेस्टबेड असल में एक कंट्रोल्ड माहौल या प्लेटफॉर्म होता है जिसे खास तौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी के साथ एक्सपेरिमेंट करने, टेस्ट करने और डेवलप करने के लिए डिजाइन किया जाता है।

    आसान शब्दों में इसे AI के लिए एक 'सैंडबॉक्स' या 'लैब' की तरह समझा जा सकता है। एक सेफ, डेडिकेटेड सेटअप जहां रिसर्चर, डेवलपर या कंपनियां असली दुनिया में किसी रुकावट के जोखिम के बिना नए AI मॉडल, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर या आइडिया आजमा सकते हैं।

    ये इस बात की कड़ी टेस्टिंग करने की सुविधा देता है कि AI कैसा परफॉर्म करता है, उसकी सुरक्षा, दक्षता, विश्वसनीयता और संभावित जोखिम क्या हैं। इसमें खास कंप्यूटर (जैसे एडवांस्ड AI एक्सेलेरेटर), सिम्युलेटेड सिनेरियो, या यहां तक कि असली दुनिया जैसी सेटिंग्स भी शामिल हो सकती हैं।

    भारत का दबदबा

    भारत में दुनिया के ऐसे देशों में से एक है, जहां सबसे सस्ता डेटा मिलता है। साथ ही मोबाइल-फ्रेंडली आबादी के कारण, भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपनाने में एक मेजर पावर के तौर पर उभरा है। देश का बड़ा और बढ़ता डिजिटल फुटप्रिंट अब दुनिया भर में AI के पर्सनलाइजेशन और ग्रोथ दोनों को बढ़ावा दे रहा है।

    TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत मेजर एप्स के लिए मंथली एक्टिव यूजर्स (MAUs) में सबसे आगे है, जिसमें ग्लोबल टोटल में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है:

    • WhatsApp Messenger: 850 मिलियन (ग्लोबल MAUs का 32%)
    • YouTube: 745 मिलियन (26%)
    • Google Maps: 545 मिलियन (26%)
    • Instagram: 440 मिलियन (31%)
    • Facebook: 410 मिलियन (24%)
    • Snapchat: 240 मिलियन (38%)


      लार्ज एंड कनेक्टेड

    वैसे इंडियन यूजर्स AI की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन, 'स्टिकीनेस' जिसे डेली एक्टिव यूजर्स (DAU) से MAU रेश्यो से मेजर किया जाता है, अभी भी सोशल मीडिया से पीछे है। लेकिन, जिस तरह से AI ज्यादा कन्वर्सेशनल और इंटीग्रेटेड होते जा रहे हैं, ये बॉट्स बहुत जल्द लाखों लोगों की रोजाना की आदत बन जाएंगे। अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो WhatsApp जैसे सोशल मीडिया एप्स 93% के साथ टॉप हैं। वहीं, ChatGPT जैसे एप्स 45% रेश्यो के साथ आंकड़ों में काफी पीछे हैं।

    DAU/MAU रेश्यो:

    • WhatsApp: 93%
    • Instagram: 84%
    • YouTube: 84%
    • Snapchat: 66%
    • Facebook: 65%
    • ChatGPT: 45%
    • Google Maps: 24%
    • Perplexity: 19%
    • Grok: 18%
    • DeepSeek: 14%
    • Gemini: 13%

    अमेरिका से भी बड़ा बाजार है भारत

    भारत ने दुनिया के मेजर लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLMs) के लिए सबसे बड़ा बाजार बनने के लिए अमेरिका और ब्राजील को पीछे छोड़ दिया है। यूजर्स की यही बड़ी संख्या भारत को AI के लिए ग्लोबल टेस्टबेड बनाती है। आप नीचे आंकड़ों पर नजर डालें तो ये और भी साफ हो जाएगा। 

    ChatGPT MAUs: देश के हिसाब से ब्रेकडाउन

    • सितंबर 2025: भारत 16% (कुल 702 मिलियन)
    • अक्टूबर 2025: भारत 16% (750 मिलियन)
    • नवंबर 2025: भारत 16% (770 मिलियन)

    Gemini MAUs: देश के हिसाब से ब्रेकडाउन

    • सितंबर 2025: भारत 34% (298 मिलियन)
    • अक्टूबर 2025: भारत 32% (320 मिलियन)
    • नवंबर 2025: भारत 31% (330 मिलियन)

    पार्टनरशिप का फायदा

    भारत के AI बूम को बढ़ावा देने वाला एक और फैक्टर है- टेलीकॉम कंपनियों द्वारा दी जा रही शुरुआती सब्सिडी। जो डेटा प्लान के साथ 'प्रो' वर्जन को बंडल करके AI टूल्स को आम लोगों तक पहुंचा रही है, जिससे लाखों लोगों के लिए कॉस्ट बैरियर खत्म हो गई है। हालांकि, यहां एक बात गौर करने वाली ये भी रहेगी कि जो ऑफर्स ग्राहकों के लिए AI को फ्री बना रही हैं और AI ग्रोथ को बढ़ावा दे रही हैं। वो बड़ी कंपनियों को कई भारतीय भाषाओं का डेटा भी कैप्चर करने दे रही हैं, जिसे एक तरह से इसकी फीस समझा जा सकता है। अंग्रेजी में कहावत भी है कि 'If the product is free, you are the product' 

    यहां देखें जियो और एयरटेल ग्राहकों को क्या ऑफर करती हैं? 

    कंपनी- Jio

    यूजर्स की संख्या- 506 मिलियन

    ऑफर्स:

    • सभी Jio 5G यूजर्स के लिए 18 महीने के लिए Google Gemini का प्रो प्लान, जिसकी कीमत 35,100 रुपये है, मुफ्त है।
    • Google One पर 2TB स्टोरेज; Veo 3.1 AI वीडियो टूल; NotebookLM; Google Workspace और Nano Banana।

    Airtel

    264 मिलियन

    • सभी एक्टिव यूजर्स को 12 महीने के लिए Perplexity Pro मुफ्त है, जिसकी कीमत 17 हजार रुपये से ज्यादा है।
    • ये ऑफर सभी एक्टिव Airtel यूजर्स (प्रीपेड, पोस्टपेड, ब्रॉडबैंड और DTH) के लिए खुला है।

    डेटा डिविडेंड: क्या यह भारत के लिए मोलभाव का नया तरीका है?

    जैसे-जैसे व्यापार और टैरिफ पर बातचीत होने वाली है, भारत के पास एक यूनिक 'डेटा डिविडेंड' है। अमेरिकी AI कंपनियां – OpenAI, Google और Meta, बाकी दुनिया के लिए अपने मॉडल को 'ट्रेन' करने के लिए भारत के डायवर्स और मल्टीलिंगुअल डेटा पर निर्भर हैं। असल में, भारतीय यूजर्स रॉ मटिरियल (ट्रेनिंग डेटा) और फीडबैक लूप दे रहे हैं जो अमेरिकी सॉफ्टवेयर को और ज्यादा वैल्यूबल बनाते हैं।

    आज की लेन-देन वाली दुनिया में, भारत सिर्फ एक बाजार नहीं है, ये सिलिकॉन वैली के भविष्य के लिए जरूरी R&D लैब है, जो किसी भी आर्थिक बातचीत में एक मजबूत भूमिका निभाएगा। ऐसे में भारत, अमेरिका के डेटा टैरिफ के जवाब में AI डेटा के बदले सख्त लहजा अपना सकता है।

    सोर्स: BofA ग्लोबल रिसर्च।

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