कैसे चीन की सेना DeepSeek को बना रही अपना हथियार, AI खुद करेगा टारगेट की पहचान और हमला
चीन AI आधारित आर्म्स रेस तेजी से आगे बढ़ रहा है। चीन की सरकारी डिफेंस कंपनी ने ऑटोनॉमस मिलिट्री व्हीकल लॉन्च किया है, जो 50KmPH की स्पीड से कॉम्बेट मिशन ऑपरेट कर सकता है। इसके साथ ही चीन अपनी सेना में एआई का उपयोग बढ़ा रहा है, जिसमें रोबो डॉग्स, ड्रोन स्वार्म्स और वॉर-गेम सिमुलेशन शामिल हैं।
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चीन AI आधारित आर्म्स रेस तेजी से आगे बढ़ रहा है। (इमेज एआई जेनरेटेड)
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। चीन की सरकारी रक्षा कंपनी Norinco ने ऑटोनॉमस मिलिट्री व्हीकल पेश किया। यह व्हीकल 50 किमीप्रति घंटे की स्पीड से खुद ही कॉम्बैट-सपोर्ट मिशन ऑपरेट कर सकता है। चाइनीज डिफेंस कंपनी का यह मिलिट्री व्हीकल DeepSeek के AI मॉडल पर काम करता है। डीपसीक ने लॉन्च के साथ ही जनवरी में अमेरिकी शेयर बाजार भयंकर तबाही मचाई थी। उस दौरान Nvidia के शेयर 14% तक गिर गए थे।
सेना में बढ़ रहा है AI का इस्तेमाल
चीन का कहना है कि वह सेना और वॉर टेक्नोलॉजी में एआई को लगातार बढ़ा रहा है। एआई संचालित मिलिट्री व्हीकल Norinco P60 को इसका उदाहरण बताया है। समाचार एजेंसी Reuters ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि चीन ने कई रिसर्च पेपर, पेटेंट्स और खरीद रिकॉर्ड्स के साफ है कि वह एआई से वॉर स्ट्रेटजी को बदलने की दिशा में काम कर रहा है।
किस तरह के AI हथियार बना रहा है चीन
चीन रोबो डॉग्स और ड्रोन स्वॉर्म जैसे एआई संचालित हथियार तैयार कर रहा है। रोबो डॉग्स झुंड में स्काउटिंग कर सकते हैं। इसके साथ इनकी मदद से बम को डिफ्यूज भी किया जा सकता है। ड्रोन स्वॉर्म्स अपने-आप टारगेट ट्रैक कर सकते हैं और मिलकर मिलिट्री ऑपरेशन चला सकते हैं।
इसके साथ ही युद्ध के दौरान स्ट्रेटजिक फैसले तेजी से लेने के लिए AI वॉर-गेम सिमुलेशन और वर्चुअल कमांड सेंटर का उपयोग बढ़ने पर चीन फोकस बढ़ा रहा है। एआई से टारगेट की पहचान के लिए सैटेलाइट और ड्रोन इमेज का रियल टाइम विश्लेषण करना आसान हो गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि लैंडशिप इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसी कंपनियां हुवावे के चिप पर आधारित एआई सिस्टम तैयार कर रही है। यह सैटेलाइट इमेज से टारगेट की पहचान करने और रडार और एयरक्राफ्ट के बीच कॉर्डिनेशन करने में भी सक्षम है।
Xi’an Technological University ने अपनी रिसर्च में बताया है कि DeepSeek पर आधारित यह सिस्टम 10,000 बैटलफील्ड सीनारियो को महज 48 सेकंड में एनालाइज कर सकता है। वहीं पारंपरिक तरीके से इसमें दो दिन तक का समय लगता है।
ड्रोन और ऑटोनॉमस टेक्नोलॉजी में भी बढ़ रहा AI का इस्तेमाल
चीन की सेना (PLA) ड्रोन में AI-आधारित टारगेट रिकग्निशन और स्वॉर्म कोऑर्डिनेशन टेक्नोलॉजी को जोड़ रही है। इसके साथ ही Beihang University का कहना है कि वह DeepSeek की मदद से ड्रोन स्वॉर्म के डिसीजन-मेकिंग को बेहतर बनाने पर जुटे हुए हैं। ड्रोन स्वॉर्म को छोटे औ हल्के विमान को टारगेट करने के लिए तैयार किया जा रहा है।

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