Health News: 20 लाख की सर्जरी मात्र 25 हजार में, एम्स में रोबोट से हो रहा किडनी का सफल ट्रांसप्लांट
एम्स, नई दिल्ली में रोबोट की मदद से किडनी ट्रांसप्लांट अब कम खर्च में संभव है। प्राइवेट अस्पतालों में 20 लाख के खर्च के मुकाबले, एम्स में यह सर्जरी केवल 20-25 हजार में हो रही है। छोटा चीरा लगने से दर्द कम होता है और मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं। आयुष्मान भारत कार्डधारकों को भी इसका निशुल्क लाभ मिलेगा। एम्स में पिछले साल 'डा विंची सर्जिकल रोबोट' स्थापित किया गया था, जिससे यह संभव हो पाया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तीन सितंबर से अब तक एम्स में रोबोट की मदद से यह पांचवीं सर्जरी थी। प्राइवेट अस्पतालों में जहां इसके लिए लोगों को 20 लाख या उससे अधिक खर्च करने पड़ते हैं, वहीं एम्स में दवा को छोड़कर इस सर्जरी में 20 से 25 हजार रुपये का खर्च आया। आयुष्मान कार्डधारकों के लिए यह ऑपरेशन नि:शुल्क है। यह जानकारी शुक्रवार को सर्जरी एवं रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के प्रो. वीके बंसल और विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील चुम्बर ने साझा की।
मरीज को ज्यादा दर्द भी नहीं होता
उन्होंने बताया कि एम्स की टीम ने आठ अक्टूबर को 27 वर्षीय मरीज का रोबोट की सहायता से किडनी का प्रत्यारोपण किया था। मरीज के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। अगले चार-पांच दिनों में उसे अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाएगी।
प्रो. बंसल ने बताया कि इस तरह की सर्जरी में बड़ा चीरा लगने की जरूरत नहीं होती। थ्री-डी दृष्यता के साथ सटीकता से सर्जन के लिए अंदरूनी अंगों को देखना आसान होता है। बड़ा चीरा न होने से मरीज को ज्यादा दर्द भी नहीं होता।
अस्पताल में रुकना होगा मात्र सात दिन
दर्द निवारक दवाएं सीधा किडनी पर ही असर डालती हैं। इस प्रक्रिया में उन्हें दर्द निवारक दवाएं नहीं देनी पड़तीं। इसके चलते घाव जल्दी भरते हैं। सामान्य ट्रांसप्लांट में जहां मरीज को 12 से 15 दिन रहना पड़ता है, वहीं इसमें एक सप्ताह के भीतर ही स्वस्थ होकर वह घर जा सकता है।
आयुष्मान कार्डधारकों का नि:शुल्क इलाज
प्रो. सुनील चुम्बर ने बताया कि आयुष्मान भारत कार्डधारकों को भी इसका लाभ नि:शुल्क मिलेगा। इस वर्ग में एक मरीज पंजीकृत भी हुआ है, जिसका अगले एक सप्ताह के भीतर रोबोट की मदद से किडनी प्रत्यारोपण किया जाएगा।
3 सितंबर को पहली बार किया प्रयोग
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष नवंबर में संस्थान को 'डाॅ. विंची सर्जिकल रोबोट' प्राप्त हुआ था। विगत 27 फरवरी 2025 को इसकी मदद से पहली बार कोई सर्जरी की गई। तीन सितंबर को पहली इसका इस्तेमाल किडनी प्रत्यारोपण में किया गया।
मरीज को फायदा
- छोटा चीरा
- कम रक्त की हानि
- कम दर्द
- तेज रिकवरी
- अस्पताल में कम दिन रहना पड़ता है
सर्जन को फायदा
- अधिक दृश्यता
- अंदरूनी अंगों की थ्री-डी इमेज
- सटीकता
- सर्जरी में निपुणता
भारत में किडनी प्रत्यारोपण एक नजर में
- 1965: केईएम हाॅस्पिटल-मुंबई (महाराष्ट्र) में पहला किडनी प्रत्यारोपण
- 1971: क्रिश्चियन मेडिकल काॅलेज-वेल्लोर (तमिलनाडु) में पहला सफल किडनी प्रत्यारोपण
- 1972: एम्स दिल्ली में पहला सफल किडनी प्रत्यारोपण
- नवंबर 2024: एम्स के सर्जिकल ब्लाक को मिला 'डाॅ. विंची सर्जिकल रोबोट'
- 27 फरवरी 2025: सर्जिकल रोबोट की सहायता से पहली बार डोनर की किडनी निकाली गई।
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