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    Bihar Politics : नेताओं की खत्म हुई बारी, अब वोट से तय होगी किसकी जीत, किसकी हार

    By Sunil Tiwari Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Sun, 09 Nov 2025 06:40 PM (IST)

    Bihar Election 2025 : बिहार की राजनीति में अब नेताओं का खेल खत्म हो गया है, क्योंकि जनता अपने वोट की शक्ति से तय करेगी कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा। चुनाव का माहौल पूरे राज्य में छाया हुआ है, और नेता मतदाताओं को लुभाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। अब जनता की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे ही तय करेंगे कि उनके लिए सही नेता कौन है। हर एक वोट मायने रखता है।

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    इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है। 

    सुनील आनंद, बेतिया (पश्चिम चंपारण)। विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान 11 नवंबर को होने वाला है। चुनाव प्रचार की समाप्ति के साथ ही रविवार को नेताओं की पारी खत्म हो गई। एक दिन के इंटरवल के बाद मतदाताओं की बारी है।

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    मसलन, मंगलवार (11 नवंबर ) को जिले के नौ विधानसभा सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रहे 72 प्रत्याशियों के राजनीतिक तकदीर का फैसला मतदाता करेंगे। जिले की सभी विधानसभा सीटों पर प्रचार थमते ही सियासी माहौल में शांति छा गई है।

    बीते कई दिनों से नेताओं के भाषण, रोड शो और जनसंपर्क अभियान से गूंज रहे इलाकों में अब मतदान को लेकर जनता का निर्णय केंद्र में हैं। इस बार के चुनाव में मतदाता बारीकी से सोच-समझकर निर्णय लेने के मूड में है।

    विकास और जंगलराज के बीच जातीय गोलबंदी के नेताओं के प्रयास का मंथन शुरु हो गया। साथ में सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार, बाढ़, पलायन, सड़क, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दे मतदाताओं के मन में गहराई से असर छोड़ चुके हैं।

    शहरों से लेकर गांवों तक लोग अब इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि किस प्रत्याशी ने वादों से आगे बढ़कर काम किया और कौन सिर्फ भाषणों में जनता का दिल जीतने की कोशिश में रहा।

    महिला और युवा मतदाताओं में उत्साह

    महिलाओं और युवा मतदाताओं में काफी उत्साह दिख रहा है। पहली बार वोट डालने वाले युवक-युवतियां लोकतंत्र की इस परीक्षा में अपनी भूमिका निभाने को उत्सुक हैं। जिले में कुल 26,26,480 मतदाताओं में पुरुष 14,03,109 एवं महिलाएं 12,23,281 हैं।

    महिला एवं युवा वोटरों पर सबकी निगाहें हैं। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की दस- दस हजार की राशि पाने वाली महिलाएं और रोजगार के लिए तड़प रहे युवा इस बार चुनाव में निर्णायक भूमिका में होंगे। चूंकि इस बार प्रशासन की ओर से मतदान का प्रतिशत बढ़ाने को लेकर काफी जागरुकता फैलाई गई है। ऐसे में प्रथम चरण के बढ़े मतदान प्रतिशत को देखकर दूसरे चरण में भी मतदान प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।

    विरासत बचाने का संघर्ष

    पिछले 20 वर्ष से भाजपा का गढ़ माने जाने वाले जिले में इस बार विरासत बचाने का संघर्ष है। 2020 के चुनाव में जिले के नौ में से आठ सीटों पर एनडीए की जीत हुई थी। हालांकि इस बार जिले में भाजपा सात सीट और जदयू दो सीट पर चुनाव लड़ रही है।

    जबकि महागठबंधन में वीआइपी एक, भाकपा माले एक, राजद दो और कांग्रेस छह सीटों पर चुनाव लड़ रही है। नरकटियागंज में महागठबंधन के राजद और कांग्रेस के बीच दोस्ताना लड़ाई है। इससे वहां महागठबंधन के समर्थकों में भ्रम की स्थिति है।

    इस चुनाव में सिकटा से पूर्व विधायक दिलीप वर्मा के पुत्र समृद्ध वर्मा, चुनावी मौसम में भाजपा छोड़ जदयू में शामिल होकर चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने विरासत बचाने की चुनौती है। वहीं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री केदार पांडेय के पौत्र शाश्वत केदार नरकटियागंज से कांग्रेस के उम्मीदवार है, इनके समक्ष भी विरासत की पुनर्वापसी की चुनौती है।


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