शादी के 40 दिन बाद पति ने की आत्महत्या, HC ने दहेज उत्पीड़न केस को रद कर कहा- सारे आरोप बेबुनियाद
उच्च न्यायालय ने शादी के 40 दिन बाद पति द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले में दहेज उत्पीड़न के केस को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं और कोई ठोस सबूत नहीं मिला। पति की आत्महत्या का कारण अभी तक अज्ञात है, और पुलिस मामले की जांच कर रही है।
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एक महिला द्वारा अपने पति के परिवार के सदस्यों के खिलाफ दर्ज दहेज उत्पीड़न की प्राथमिकी को दिल्ली हाई कोर्ट ने यह देखते हुए खारिज कर दी कि उसके पति ने शादी के महज 40 दिन बाद ही आत्महत्या कर ली थी।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि यह एक उल्टा मामला है जहां पति की मौत किसी अन्य कारणों के बजाय शादी के बाद के तनाव के कारण हुई है। अदालत ने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण मामला है, जहां शादी 40 दिन भी नहीं चल पाई और पति ने आत्महत्या कर ली। इसके परिणामस्वरूप रिश्ते खराब हो गए और उसके बाद मुकदमेबाजी शुरू हो गई।
मृतक के माता-पिता और बहन को आरोप मुक्त करते हुए पीठ ने कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोप अस्पष्ट थे और इसे साबित करने के लिए काेई भी ठोस सुबूत नहीं पेश किया। अदालत ने कहा कि यह कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग का मामला है। अदालत ने मृतक के माता-पिता और बहन के खिलाफ क्रूरता और आपराधिक विश्वासघात के अपराधों के लिए की गई प्राथमिकी को रद कर दिया।
अदालत ने उक्त आदेश महिला के सास-ससुर और ननद द्वारा दायर एक याचिका पर दिया। इसमें 2016 में उनके खिलाफ हुई प्राथमिकी को रद करने की मांग की गई थी। दंपति ने मार्च 2016 में शादी की और पुणे में रहने लगे।
महिला के ससुराल वालों ने दावा किया था कि इसके तुरंत बाद दंपति के बीच मतभेद पैदा हो गए और उनका बेटा परेशान व निराश रहने लगा।
यह भी कहा कि उनकी बहू के परिवार वालों ने न सिर्फ उनके बेटे पर दबाव डाला, बल्कि उसे हर हाल में उसके साथ रहने की धमकी भी दी। इतना ही नहीं बहू के स्वजन ने उनके बेटे को डरा दिया कि उनके पूरे परिवार को दहेज और घरेलू हिंसा के झूठे मामले में फंसा देंगे।
इसी से परेशान होकर उनके बेटे ने 13 अप्रैल 2016 को शादी के बमुश्किल 40 दिन बाद ही आत्महत्या कर ली थी। उनकी बहू ने अपने स्वजन के कहने पर दाह संस्कार के तुरंत बाद ससुराल छोड़ दिया और बाद में किराए के मकान से अपना सामान ले गई।
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