Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Agra Famous Tea: चाय की चुस्की का चस्का... कई स्वाद पर खास है ये वाली!

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 03:15 PM (IST)

    भारत में चाय केवल एक पेय नहीं, बल्कि एक संस्कृति है। सुबह से शाम तक यह हर अवसर पर साथ देती है। हर गली-नुक्कड़ पर चाय की दुकानें इसकी लोकप्रियता का प्रमाण हैं। मसाला, अदरक, इलायची और नींबू चाय जैसे कई प्रकार उपलब्ध हैं, और हर क्षेत्र में इसे बनाने का अपना अनूठा तरीका है। चाय सामाजिक संबंधों को मजबूत करती है और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

    Hero Image

    चाय की चुस्की।

    जागरण टीम, आगरा। हंस पड़ी शाम की उदास फिजा, इस तरह चाय की प्याली हंसी। समय बदला, आदमी बदला और उसके साथ चाय ने भी कई रंग बदले। अकेलापन, खुशियां या दोस्तों के साथ गरमागरम बहस या गपशप चाय हमेशा साथ रही। हां समय के साथ कप, कुल्हड़ के आकार के साथ उन्हें पकड़ने वाले लोग और मुद्दे जरूर बदलते रहते हैं। शहर में दिल्ली गेट, बेलनगंज में बाबा की पीतल की केतली वाली चाय, बसई चौकी के सामने फौजदार की कढाव वाली चाय एवं सिकंदरा चौराहे पर छेनू की चाय, सभी की अपनी अलग ही पहचान है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     

    ई आवाजें एक साथ लगती हैं जल्दी देना भैया


    चूल्हे पर चढ़े बर्तन मे खौलती चाय को एक मग में भरने के बाद तल्लीनता से छलनी से दूसरे बर्तन में छानने के दौरान उठती भाप सामने बैठने लोगों को बेकरार कर जाती है। इसी के साथ कई आवाज एक साथ लग जाती हैं, भइया जरा जल्दी कीजिए। और हां ब्रेड-मक्खन भी दे दीजिए। चार पीढी से दिल्ली गेट पर चाय बेच रहे गोपाल के लिए यह अावाज नई नहीं हैं, लेकिन वह पूरी तल्लीनता से अपना काम करने के बाद उसे कुल्हड़ में भरकर पेश करते हैं।

     

    120 वर्ष पुरानी है राजकुमार की चाय की दुकान

     

    दिल्ली गेट पर राजकुमार की चाय की दुकान 120 वर्ष से अधिक पुरानी है। चाय की दुकान खोलने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। गोपाल बताते हैं कि चाय की दुकान उनके बाबा की मां कलावती ने खोली थी। कलावती ने करीब 40 वर्ष तक दुकान को चलाया, जिसके बाद इसे उनके बेटे रामजीलाल ने संभाल लिया। तब लोग चाय के बदले रुपये देकर नहीं जाते थे। वह अपने साथ लाए पीतल के बर्तन देकर जाते थे। बाबा रामजीलाल के समय तक चाय की जगह ग्राहकों द्वारा बर्तन देकर जाने का सिलसिला चला।

     

    चाय के कई स्वाद, लेकिन खास है अदरख वाली


    रामजीलाल के चार बेटे हैं। करीब पांच दशक पहले रामजीलाल के बड़े बेटे राजकुमार ने पिता के साथ चाय की दुकान पर बैठना शुरू किया। उन्होंने चाय के बदले मुद्रा लेना शुरू किया। पुरानी दुकान पर सभी चारों भाइयों ने दिन बांट रखे हैं, वह अपनी बारी पर पर बैठते हैं।

    गोपाल और छेनू बताते हैं कि कि समय के साथ चाय के कई स्वाद आते गए। इनमें ग्रीन टी, ब्लैक टी, अदरक वाली चाय, मसालों वाली चाय समेत एक दर्जन से अधिक स्वाद हैं। मगर, आज भी सबसे ज्यादा मांग आज भी अदरक वाली सामान्य चाय की है।