Illegal Conversion Racket: सरगना अब्दुल रहमान 15 आरोपितों पर शिकंजा कसा, धारा 152 लगाई
आगरा के सदर क्षेत्र में बेटियों के अवैध मतांतरण के मामले में पुलिस ने अब्दुल रहमान समेत 15 आरोपितों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 लगाई है। यह धारा देश की संप्रभुता से संबंधित है। पुलिस ने आरोपितों को रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है ताकि उनसे दोबारा पूछताछ की जा सके। गिरोह के तार कई राज्यों और विदेशों से जुड़े हुए हैं।
जागरण संवाददाता, आगरा। सदर की बेटियों समेत दर्जनों लोगों का ब्रेनवाश करके अवैध मतांतरण करने के मामले में सरगना अब्दुल रहमान, आयशा समेत 15 आरोपितों के विरुद्ध पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 बढाई है।
ये धारा देश की संप्रभुता, एकता व अखंडता से संबंधित है। उक्त धारा के आधार पर पुलिस ने आरोपितों को दोबारा रिमांड पर लेने के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है। रिमांड मिलने पर पुलिस सरगना समेत अन्य आरोपितों से दोबारा पूछताछ कर सकती है।
बेटियों के मामले में अब्दुल रहमान, आयशा समेत 15 लोगों को भेजा था जेल
सदर से इस वर्ष 24 मार्च को गायब दो बेटियों को पुलिस ने 18 जुलाई को कोलकाता के मुस्लिम बाहुल्य तपसिया क्षेत्र से बरामद किया था। बेटियों का अवैध मतांतरण कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए 14 लोगों को गिरफ्तार किया। गिरोह का प्रमुख चेहरा दिल्ली के मुस्तफाबाद का रहने वाला अब्दुल रहमान उर्फ महेंद्र पाल सिंह है।
पुलिस ने अब्दुल रहमान के अलावा गोवा की आयशा उर्फ एसबी कृष्णा, शाहगंज के सराय ख्वाजा के रहने वाले रहमान कुरैशी, हसन अली उर्फ शेखर राय एवं मोहम्मद अली उर्फ पीयूष पंवार समेत 15 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा था।
आरोपितों काे रिमांड पर लेने को सीजेएम कोर्ट में दिया प्रार्थना पत्र
अब्दुल रहमान से पूछताछ में गिरोह के नेपाल से लेकर म्यांमार एवं भूटान की सीमा तक फैले जाल के बारे में पता चला था। पुलिस ने अपनी विवेचना में पाया कि गिरोह इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म, मोबाइल एप्लीकेशन व गुप्त नेटवर्क के जरिए युवाओं को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करने की गतिविधियां लंबे समय से संचालित कर रहा था। गिरोह द्वारा इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर रिवर्ट ग्रुप, जायसन, कोलकाता रिवर्ट्स टू इस्लाम कॉन्ग्रिगेशन” संचालित कर रहा था।
इन धाराओं में दर्ज है मुकदमा
सदर थाने में बीएनएस की धारा 87, 111(3), 111(4),61(2) एवं 3/5 विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम की धारा 2021 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
धारा 152 में आजीवन कारावास तक का है प्राविधान
बीएनएस की धारा 125 देश की संप्रभुता, एकता व अखंडता को बचाने के लिए है। जिसमें अलगाववाद की भावना को उकसाना और विभिन्न तरीकों से भारत की एकता व अखंडता को खतरे में डालने पर लगती है। यह तरीका भाषण लेखन, संकेतों, दृश्य, इलेक्ट्रानिक संचार या वित्तीय माध्यमों से हो सकता है। वर्ष 2024 में लागू हुई बीएनएस की यह धारा आईपीसी की धारा 134ए (राष्ट्रद्रोह) का स्थान लेती है। जिसमें कम से कम सात वर्ष एवं अधिकतम आजीवन कारावास तक की सजा का प्राविधान है।
कई राज्यों और विदेशों से जुड़े मिले थे तार
अवैध मतांतरण गिरोह के तार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, गोवा एवं कश्मीर से जुड़े मिले थे। जबकि विदेशों में पाकिस्तान, दुबई, कनाडा एवं अमेरिका से जुड़े बताए गए। पुलिस आरोपितोंं से मिली साक्ष्यों की कड़ियों को जोड़ने में जुटी है। न्यायालय में यह साक्ष्य ही आरोपितों को सजा दिलाने में मददगार साबित होंगे।
पुलिस साक्ष्यों को एकत्रित करने के साथ ही गिरोह के लोग एक दूसरे से किस तरह से कनेक्ट थे, इसे भी जोड़ रही है। इसके अलावा अवैध मतांतरण के लिए आरोपितों को होने वाली फंडिंग के बारे में भी साक्ष्यों को एकत्रित किया गया है।
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