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    Agra News: फोरेंसिक लैब में फर्जी बैनामों की जांच शुरू, जल्द आएगी रिपोर्ट

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 03:35 PM (IST)

    आगरा में फर्जी बैनामों से जमीनों पर कब्जा करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ था जिसने 700 करोड़ की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। एसआईटी ने जाँच के लिए जिल्द बही को फोरेंसिक लैब भेजा है जहाँ स्याही हस्ताक्षर और पन्नों की जाँच हो रही है। दैनिक जागरण ने इस मामले का खुलासा किया था जिसके बाद 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।

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    जनवरी में पर्दाफाश के बाद फर्जी बैनामे और जिल्द बही को भेजा है लैब

    जागरण संवाददाता, आगरा। फर्जी बैनामों से कब्जा करने वाले गिरोह का सात महीने पहले पर्दाफाश हुआ था। गिरोह ने 700 करोड़ रुपये से अधिक की बेशकीमती जमीनों को फर्जी बैनामों की मदद से धोखाधड़ी करके कब्जा कराने का प्रयास किया था। जिल्द बही से असली बैनामे गायब करा दिए थे। उनकी जगह फर्जी बैनामे कर्मचारियों की मिलीभगत से जिल्द बही में लगवा दिए थे।

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    एसआइटी ने सदर तहसील के लेखागार से जांच के दायरे में आई आधा दर्जन से अधिक जिल्द बही को फोरेंसिक लैब जांच के लिए भेजा था। लैब में इन फर्जी बैनामों की जांच शुरू हो गई है। विज्ञानियों द्वारा जिल्द बही की स्याही, हस्ताक्षर और पन्नों की जांच की जा रही है। लैब की रिपोर्ट जल्द ही एसआइटी को मिलने की उम्मीद है।

    दैनिक जागरण द्वारा शहर की बेशकीमती जमीनों पर फर्जी बैनामों से कब्जा करने वाले गिरोह का इस वर्ष जनवरी में पर्दाफाश किया गया था। मामले में 21 जनवरी को शाहगंज थाने में प्रशासन की ओर से 11 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसमें प्रशांत शर्मा, अजय सिसौदिया, भानु रावत, प्रबल प्रताप चौहान, राजकुमार,बृजेश दुबे, सुमित अग्रवाल केंद्रीय अभिलेखागार के सेवानिवृत्त रिकार्ड कीपर देवदत्त शर्मा समेत 11 लोग नामजद हैं।

    एसआइटी द्वारा अभिलेखागार से वह जिल्द अपने कब्जे में ली गई थीं,जिनसे असली बैनामा गायब किए गए। उक्त मुकदमे से संबंधित चार जिल्द बही को फोरेंसिक लैब जांच के लिए भेजा गया था। पांचवीं जिल्द बही सदर में पिछले वर्ष दर्ज मुकदमे से संबंधित है। डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि फर्जी बैनामों की जांच रिपोर्ट जल्द भेजने के लिए फोरेंसिक लैब को रिमाइंडर भेजा गया है।

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    पन्नों और स्याही की जांच से ऐसे खुलेगा राज

    पन्ना: जिल्द बही में दशकों पुराने पन्ने होते हैं। जिससे उनका रंग बदल जाता है। जिन असली पन्नों को हटाकर उनकी जगह फर्जी बैनामा या वसीयत लगाई गई है, उनका रंग समेत अन्य चीजों के आधार पर जांच की जाएगी।

    स्याही: असली और फर्जी बैनामों की स्याही का रंग अलग होता है। असली बैनामे कई दशक पुराने होने के चलते उनकी स्याही पुरानी हो जाती है। जबकि नए बैनामे की स्याही का रंग पुरानी की अपेक्षा अधिक स्याह होता है। विज्ञानियों द्वारा स्याही के अंतर से बैनामे के असली या फर्जी होने की पुष्टि करेंगे।