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    अवैध मतांतरण गिरोह की सदस्य आयशा के खाते में अमेरिका से भी हुई थी फंडिंग, फ‍िर से र‍िमांड पर ले सकती है पुल‍िस

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 07:24 PM (IST)

    आगरा में अवैध धर्मांतरण गिरोह का पर्दाफाश हुआ है जिसमें पता चला है कि गिरोह को अमेरिका से भी फंडिंग होती थी। आयशा नामक एक सदस्य के खाते में 2.90 लाख रुपये भेजे गए थे जिसे वह विभिन्न राज्यों में भेजती थी। पुलिस ने 14 लोगों को गिरफ्तार किया है और मामले की जांच जारी है। गिरोह इंटरनेट मीडिया के माध्यम से धर्मांतरण के लिए युवाओं को प्रेरित करता था।

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    अवैध मतांतरण गिरोह की सदस्य आयशा के खाते में अमेरिका से भी हुई थी फंडिंग।

    जागरण संवाददाता, आगरा। अवैध मतांतरण गिरोह के सदस्यों को कनाडा के अलावा अमेरिका से भी फंडिंग हुई थी। गिराेह की प्रमुख सदस्य गोवा की एसबी क़ृष्णा उर्फ आयशा के बैंक खाते में जुलाई 2024 से जून 2025 के दौरान 2.90 लाख रुपये भेजे गए थे। यह रकम परिवार के भरण-पोषण और बचत के लिए भेजी गई थी। रकम खाते में आते ही आयशा उसे अलग-अलग राज्यों में भेज देती थी।साइबर क्राइम थाने की टीम ने जांच में पाया कि यह रकम कनाडा के सैयद दाऊद अहमद और अमेरिका के डेरियस पेटागे, सलाहलदीन कुदसी के द्वारा भेजी गई थी।

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    सदर से इस वर्ष 24 मार्च को गायब दो बेटियों को पुलिस ने 18 जुलाई को कोलकाता के मुस्लिम बाहुल्य तपसिया क्षेत्र से बरामद किया था। बेटियों का अवैध मतांतरण कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए 14 लोगों को गिरफ्तार किया। गिरोह का प्रमुख चेहरा दिल्ली के मुस्तफाबाद का रहने वाला अब्दुल रहमान उर्फ महेंद्र पाल सिंह है।

    पुलिस ने अब्दुल रहमान के अलावा गोवा की आयशा उर्फ एसबी कृष्णा, शाहगंज के सराय ख्वाजा के रहने वाले रहमान कुरैशी, हसन अली उर्फ शेखर राय एवं मोहम्मद अली उर्फ पीयूष पंवार समेत 15 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। अब्दुल रहमान से पूछताछ में गिरोह के नेपाल से लेकर म्यांमार एवं भूटान की सीमा तक फैले जाल के बारे में पता चला था। पुलिस ने अपनी विवेचना में पाया कि गिरोह इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म, मोबाइल एप्लीकेशन व गुप्त नेटवर्क के जरिए युवाओं को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करने की गतिविधियां लंबे समय से संचालित कर रहा था। गिरोह द्वारा इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर रिवर्ट ग्रुप, जायसन, कोलकाता रिवर्ट्स टू इस्लाम कॉन्ग्रिगेशन” संचालित कर रहा था।

    साइबर थाने की टीमों द्वारा गिरोह के सदस्यों के खातों व मोबाइल डाटा की जांच कर रही हैं। आयशा स्टेट बैंक खाते की जांच में पता चला कि 30 जुलाई 2024 से छह जून 2025 के दौरान 2.90 लाख रुपये का अंतरराष्ट्रीय लेनदेन हुआ था। यह लेनदेन रिजर्व बैंक आफ इंडिया के कोड पी1301 (परिवार के भरण-पोषण व बचत के उद्देश्य से) के तहत किया गया था। रकम को आयशा ने अलग-अलग राज्यों के लोगों के खाते में स्थानांतरित किया था।

    सदर की बेटियों को 35 हजार रुपये आयशा द्वारा इसी रकम से दिए गए थे। आरोपितों को दोबारा रिमांड पर लेकर पुलिस टीम उनके मोबाइल डाटा की जांच में सामने आए तथ्यों के बारे में पूछताछ करके उसकी कड़ियां जोड़ने का काम करेगी। अपर पुलिस उपायुक्त सिटी आदित्य ने बताया कि विवेचना में आरोपितों के विरुद्ध पुख्ता साक्ष्य एकत्रित किए गए हैं।

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