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    Northern Bypass: हाईटेंशन लाइन शिफ्ट हो जाए तो भारी वाहन शहर में नहीं करेंगे प्रवेश, बचेगी लंबी दूरी

    By Amit Dixit Edited By: Prateek Gupta
    Updated: Tue, 18 Nov 2025 02:19 PM (IST)

    आगरा में मेट्रो कार्य और उत्तरी बाइपास के कारण शहर में जाम की समस्या है। हाईटेंशन लाइन शिफ्ट न होने से बाइपास का काम अटका है, जिससे मथुरा रिफाइनरी को बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है। 400 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस बाइपास से NH-19 पर वाहनों का दबाव कम होगा और खंदौली-हाथरस की दूरी कम हो जाएगी। सर्वे में लापरवाही के कारण अब देरी हो रही है।

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    उत्तरी बाइपास दर्शाने को प्रतीकात्मक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, आगरा। सरकारी सिस्टम की कछुआ चाल और आपसी तालमेल का न होने का खामियाजा पूरा शहर झेल रहा है। मेट्रो के काम के चलते दि आगरा हाईवे बेहाल है। दिनभर यहां जाम है। राहत मिल सकती थी, यदि उत्तरी बाइपास चालू हो जाता। लेकिन सात माह से यहां एक हाईटेंशन लाइन शिफ्ट नहीं हुई है।

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    11 हजार वोल्ट की लाइन से मथुरा रिफाइनरी को बिजली की आपूर्ति होती है। लाइन शिफ्ट करने को लेकर 80 शिकायतें हो चुकी हैं। 400 करोड़ रुपये से 14 किमी लंबा बाइपास चालू होने से नेशनल हाईवे-19 पर वाहनों का दबाव कम हो जाएगा। इससे सिकंदरा सहित अन्य चौराहों पर जाम पर लगने वाले जाम से राहत मिलेगी। बाइपास से खंदौली और हाथरस पहुंचने भी आसान हो जाएगा।

    डेढ़ दशक पूर्व उत्तरी बाइपास का सपना देखा गया था। चार बार प्रस्ताव बने लेकिन इन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। वर्ष 2020 में बाइपास के कार्य ने तेजी पकड़ी। नेशनल हाईवे-19 स्थित रैपुरा जाट से मिडावली हाथरस तक सर्वे हुआ फिर इसका प्रस्ताव नई दिल्ली भेजा गया गया। इसकी अनुमति वर्ष 2021 में जाकर मिली।

    भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) आगरा खंड ने बाइपास का टेंडर निकाला। वर्ष 2022 से 14 किमी लंबी रोड का 400 करोड़ रुपये से निर्माण शुरू हुआ। दो साल में इसका कार्य पूरा होना था। अधिकारियों ने शुरुआत से ही धीमी गति से कार्य किया। इसी के चलते 31 अप्रैल 2025 में बाइपास बनकर तैयार हुआ।

    बाइपास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा दो हाईटेंशन लाइन बनीं। तीन माह के इंतजार के बाद एक लाइन को 11 मीटर ऊंचा कर दिया गया। दूसरी लाइन की अनुमति नहीं मिली। दूसरी लाइन से मथुरा रिफाइनरी को बिजली की आपूर्ति होती है। अगर लाइन बंद होती है तो इससे करोड़ों रुपये का नुकसान होगा।

    ऐसे में बिजली विभाग से अनुमति देने से इन्कार कर दिया। सात माह में 80 शिकायतें हो चुकी हैं। अभी तक शटडाउन की अनुमति नहीं मिली है। सेवानिवृत्त इंजीनियर बीके चौहान का कहना है कि जब बाइपास बनकर तैयार है तो उसे चालू किया जाना चाहिए। बाधा को जल्द दूर किया जाना चाहिए।

    सर्वे में बरती गई लापरवाही

    सेवानिवृत्त इंजीनियर टीके शर्मा का कहना है कि किसी भी रोड के सर्वे के दौरान हर पहलू का ध्यान रखा जाता है। डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट में इसका जिक्र भी किया जाता है। एनएचएआइ टीम ने जिस दौरान उत्तरी बाइपास का सर्वे किया। आखिर हाईटेंशन लाइन की ऊंचाई का ध्यान क्यों नहीं रखा। अगर एक बार ऊंचाई पर ध्यान रखते तो निर्माण कार्य शुरू होने से पूर्व लाइन को शिफ्ट करने की अनुमति के लिए आवेदन कर दिया जाता। इससे सात माह तक रोड को बंद नहीं रखना पड़ता।

    बाइपास चालू होने से यह होगा फायदा

    14 किमी लंबा बाइपास नेशनल हाईवे-19 स्थित रैपुरा जाट को मिडावली हाथरस से जोड़ रहा है। इसमें चार अंडरपास का निर्माण हुआ है। बाइपास को यमुना एक्सप्रेसवे के चैनल नंबर 141 से जोड़ा गया है। इससे रैपुरा जाट और खंदौली कीदूरी 47 किमी से कम होकर 30 किमी रह गई है। यमुना नदी पर पुल भी बनाया गया है। बाइपास चालू होने से नई दिल्ली से हाथरस जाने वाले वाहन सीधे जा सकेंगे। इससे समय और ईंधन दोनों की बचत होगी।