आगरा में नौकरी का झांसा देकर फ्रॉड करने वाले गिरोह के तीन सदस्य गिरफ्तार, 500 करोड़ से ज्यादा ठगे
आगरा पुलिस ने साइबर फ्रॉड रैकेट का पर्दाफाश करते हुए दो लोगों को हिरासत में लिया है। ये रैकेट भोले-भाले युवाओं को नौकरी का झांसा देकर कंबोडिया जैसे देशों में भेजता था और उनसे जबरदस्ती साइबर अपराध करवाता था। पीड़ितों को बंधक बनाकर रखा जाता था। रैकेट ने 500 करोड़ रुपये से अधिक का फ्रॉड किया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
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जागरण संवाददाता, आगरा। आगरा पुलिस ने देश-विदेश जुड़े एक बड़े साइबर-स्लेवरी/साइबर-फ्रॉड रैकेट की जांच में दो व्यक्तियों को हिरासत में लिया है; पूछताछ में खुलासा हुआ कि भोले-भाले युवकों को नौकरी का झांसा देकर कंबोडिया, लाओस और वियतनाम जैसे देशों में भेजा जाता था, वहां उन्हें जबरदस्ती साइबर अपराध करवाए जाते थे। पुलिस का कहना है कि इंडिया में बैठे एजेंट इन युवकों को 3.5–4 लाख रुपये प्रति व्यक्ति लेकर भेजते हैं और विदेशी एजेंट पहुँचने पर पैसे लेकर “कम्पनियों” को बेच देते हैं।
एडीशनल डीसीपी आदित्य कुमार के हवाले से पूछताछ में मिलनी वाली जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार अभियुक्त आतिफ कुरैशी ने कबूल किया कि 2022 से मई 2025 के बीच वह कंबोडिया में था और उसने 50 से अधिक युवकों को वहां बेचा—पुलिस को संदेह है कि यह संख्या सैकड़ों तक पहुँच सकती है। अधिकारीयों ने बताया कि इंडिया-साइट सपोर्ट (सिम, बैंक-अकाउंट, ओटीपी-एक्सेस आदि) भी यहीं से उपलब्ध कराए जाते थे।
पीड़ितों के बयानों के अनुसार, जब उन्होंने विरोध किया तो उनके दस्तावेज़ छीन लिए गए और उन्हें बंधक बनाकर रखा गया; कुछ पीड़ितों ने विदेश स्थित भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय को मेल कर मदद माँगी, जिसके बाद एंबेसी की मदद से कुछ लोगों को रेस्क्यू कर भारत लाया गया। इस सूचना के आधार पर गृह मंत्रालय/हेल्ड-क्वार्टर तक सूचनाएँ पहुँचीं और उसी के बाद आगे की जांच व गिरफ्तारी हुई।
पुलिस ने यह भी कहा कि पूछताछ में रैकेट द्वारा कराई गई ठगी की अनुमानित राशि बहुत बड़ी मिली। आरोपियों के अनुसार 2.5–3 साल से चल रहे नेटवर्क ने 500 करोड़ रुपये से अधिक का फ्रॉड किया हो सकता है; यह संख्या अभी जांच के दौरान सत्यापित की जा रही है। गिरफ्तारियों के अलावा कुछ और नाम रडार पर हैं और अंतर-राज्यीय कार्रवाई जारी है।
विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया में कंबोडिया और आस-पास के देशों में ऑनलाइन स्कैम-कम्पाउंड और फोर्स्ड-लेबर से जुड़े बड़े ऑपरेशन्स का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यानाकर्षण हुआ है। हाल के महीनों में कंबोडिया में बड़े पैमाने पर छापेमारी और कई गिरफ्तारियाँ हुई हैं, जबकि मानवाधिकार समूहों ने वहाँ की स्थितियों पर चिंता भी जताई है। इससे पता चलता है कि भारत के भीतर के एजेंट और विदेशी-आधारित रैकेट कभी-कभी आपस में जुड़े होते हैं।
आरोपों में मानव तस्करी/ट्रैफिकिंग के पहलू भी शामिल हैं और पुलिस ने कहा कि इस बात की भी जांच की जा रही है कि किन-किन धाराओं में और कौन-सी वैधानिक कार्यवाही लागू होगी। आगरा पुलिस और संबंधित राज्य/केंद्रीय एजेंसियाँ मिलकर इस नेटवर्क के हर हिस्से की पड़ताल कर रही हैं।

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