पढ़ें क्यों आगरा के जूता व्यवसाइयों की बढ़ी है चिंता, पीएम मोदी को लिख उठाई ये मांग
GST जीएसटी दर न बढ़ाने की मांग होगा नुकसान। जूते पर टैक्स पांच से किया 12 फीसद। प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बढ़ोतरी वापस लेने की मांग। आगरा का जूता कारोबार मुगल कालीन। कारीगर होलसेल कारोबारी कर्मचारी लेबर पैकर्स ट्रांसपोर्ट से संबंधित जिले के करीब 40 फीसद लोग जुड़े हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा का जूता उद्योग कुटीर उद्योग जैसा है, जिससे हजारों अनुसूचित जाति के कारीगर व लोग जुड़े हैं। वह अपने छोटे कारखानों में सस्ते जूते तैयार कर करते हैं। जिले की करीब 40 फीसद आबादी इससे जुड़ी है। ऐसे में जीएसटी की दर पांच से 12 फीसद करने से सबसे ज्यादा नुकसान इसी वर्ग का होगा, इसलिए टैक्स न बढ़ाया जाए। यह मांग आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री से लगाई है।
संघ के अध्यक्ष गागन दास रामानी का कहना है कि आगरा का जूता कारोबार मुगल कालीन है। इससे कारीगर, होलसेल कारोबारी, कर्मचारी, लेबर, पैकर्स, ट्रांसपोर्ट से संबंधित करीब जिले के करीब 40 फीसद लोग जुड़े हैं। आगरा की लाइफ लाइन यह उद्योग एक जिला एक उत्पाद योजना में भी शामिल है। यहां बना जूता सस्ता होने से देश की करीब 65 फीसद आबादी इसका उपयोग करती है। यहां बना जूता कश्मीर से कन्याकुमारी, पूर्वोत्तर राज्यों से कच्छ,भुज तक जाता है। पहले 500 रुपये तक का फुटवियर करमुक्त था। जीएसटी में एक हजार तक के फुटवियर पर पांच फीसद कर लगा, जिसे एक जनवरी 2022 से बढ़ाकर 12 फीसद कर दिया गया है।एकदम से ढ़ाई गुना ज्यादा टैक्स बढ़ोतरी न्यायसंगत नहीं क्योंकि बाजार अब भी कोविड-19 से प्रभावित है। कर की दर पांच फीसद होने से कारोबार का विस्तार अधिकांश अर्थ-व्यवस्था की ओर अग्रसर हुआ। अब टैक्स दर बढ़ने से यह कारोबार कच्चे में होने की आशंका बढ़ जाएगा, इससे नुकसान गरीबों को ही होगा। कई कारखाने व दुकानें भी बंद हो जाएंगो। इसलिए टैक्स न बढ़ाया जाए।

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