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    बैंक मैनेजर दामाद की हत्या... आगरा कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को सात वर्ष, बेटे-बेटी को आजीवन कारावास

    Updated: Wed, 15 Oct 2025 03:04 PM (IST)

    कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को बैंक मैनेजर दामाद की हत्या के मामले में सात साल की सजा सुनाई गई है। उनके बेटे और बेटी को आजीवन कारावास की सजा मिली है। यह मामला संपत्ति विवाद और पारिवारिक कलह से जुड़ा था। अदालत के फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, और बार एसोसिएशन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

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    बेटे के साथ कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष। जागरण

    जागरण संवाददाता,आगरा। बहुचर्चित बैंक मैनेजर सचिन उपाध्याय हत्या कांड में मंगलवार को न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है। एडीजे-17 नितिन कुमार ठाकुर ने कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बिजेंद्र रावत को सबूत नष्ट करने के आरोप में सात साल कारावास तथा उनकी पुत्री प्रियंका उर्फ मोना और पुत्र कृष्णा रावत को हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। तीनों आरोपितों को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया।

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    फरवरी 2015 में बिजेंद्र रावत की पुत्री प्रियंका उर्फ मोना से हुई थी


    मामला थाना ताजगंज क्षेत्र का है। वादी केशव देव शर्मा निवासी टीकतपुरा थाना मनसुखपुरा ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनके पुत्र सचिन उपाध्याय, जो बैंक आफ इंडिया में मैनेजर थे, उनकी शादी फरवरी 2015 में बिजेंद्र रावत की पुत्री प्रियंका उर्फ मोना से हुई थी। शादी के बाद से ही दोनों के बीच विवाद रहने लगा था। पत्नी प्रियंका अलग रहने का दबाव बनाती थी और छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करती थी।

     

    सचिन के शरीर पर चोटों के निशान मिले


    वादी केशवदेव के अनुसार, सितंबर 2023 में सचिन ने अपने भाई के नाम पेट्रोल पंप हेतु आवेदन किया था। इसकी जानकारी होने पर ससुराल पक्ष ने उस पर दबाव डाला और 11 अक्टूबर को प्रियंका, उसके भाई कृष्णा रावत और पिता बिजेंद्र रावत ने मिलकर सचिन को घर में बंद कर प्रताड़ित किया। 12 अक्टूबर की शाम बिजेंद्र रावत ने फोन पर सचिन की मौत की सूचना दी। जब परिवार वहां पहुंचा, तो सचिन के शरीर पर चोटों के निशान मिले।

    13 अक्टूबर 2023 को परिवार की मांग पर चिकित्सकों के पैनल से पोस्टमार्टम कराया गया, जिसमें हत्या की पुष्टि हुई। 18 अक्टूबर को हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ और 20 अक्टूबर को कृष्णा रावत गिरफ्तार हुआ, जबकि 29 अक्टूबर को बिजेंद्र और प्रियंका को प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया।

    मुकदमे के दौरान अभियोजन की ओर से 18 गवाह और बचाव पक्ष से 4 गवाह अदालत में पेश किए गए। साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने प्रियंका उर्फ मोना और कृष्णा रावत को हत्या तथा बिजेंद्र रावत को सबूत नष्ट करने का दोषी करार दिया। बुधवार को न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए प्रियंका और कृष्णा को आजीवन कारावास तथा बिजेंद्र रावत को सात वर्ष कारावास की सजा सुनाई।