यूपी में इन 12 परिवारों को मिलेंगे चार-चार लाख, जब हादसा हुआ तो ग्रामीण से लेकर DM तक रहे थे भूखे
आगरा के कुसियापुर खेरागढ़ में उटंगन नदी में मूर्ति विसर्जन के दौरान 12 लोगों की डूबने से हुई मौत के बाद जिला प्रशासन ने मृतकों के परिवारों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला किया है। साथ ही घटना स्थल पर 24 लाख रुपये की लागत से श्मशान घाट का निर्माण किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, आगरा। कुसियापुर खेरागढ़ स्थित उटंगन नदी में दो अक्टूबर को मूर्ति विर्सजन के दौरान 12 लोगों की डूबकर मौत हो गई। सात अक्टूबर को 50वीं पैरा ब्रिगेड की 411वीं पैराफील्ड कंपनी, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के जवानों की मदद से सभी युवकों के शवों को बाहर निकाला जा सका।
दैवीय आपदा निधि से 12 मृतकों के स्वजन को चार-चार लाख रुपये मिलेंगे। वहीं जिस स्थल पर घटना हुई है। उसी के पास 24 लाख रुपये से श्मशान घाट बनायाा जाएगा। इसका निर्माण जल्द शुरू होगा। भविष्य में इस तरीके की घटनाएं न हों, इसका ध्यान रखते हुए रणनीति तैयार की जाएगी।
बुधवार को कलक्ट्रेट स्थित अपने कक्ष में डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने अधीनस्थ अधिकारियों के साथ बैठक की। पत्रकारों से बातचीत में डीएम भावुक हो गए, बोले यह मेरे जीवन का सबसे कठिन और भावनात्मक बचाव अभियान रहा है। 12 युवकों की मौत ने हर किसी को हिलाकर रख दिया।
सबसे कठिन कार्य था। उटंगन नदी के दलदल और जाल में फंसे शवों को बाहर निकालना। इसके लिए संयुक्त टीम ने हर प्रयास किया। ग्रामीणों ने आपरेशन उटंगन में पूरा सहयोग दिया। आपरेशन में सहयोग करने वाले प्रत्येक अधिकारी, कर्मचारी और ग्रामीण को 26 जनवरी 2026 को सम्मानित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पुलिस, नगर निगम सहित अन्य विभागों ने जिस तरीके से मदद की। उसकी जितनी भी तारीफ की जाए। वह कम है। संबंधित विभागों को पत्र लिखा जाएगा। डीएम ने कहा कि 411वीं पैराफील्ड कंपनी के 19, एनडीआरएफ गाजियाबाद के 20, एसडीआरएफ इटावा के 15 और 27 पीएसी के जवानों का अहम रोल रहा है।
आपरेशन से संबंधित पूरी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। उन्होंने कहा कि अप्रैल 2024 में मुजफ्फरनगर में बिल्डिंग ढहने से 25 लोग मलबे में दब गए थे। इन्हें बाहर निकालना सबसे कठिन कार्य था। इस दौरान एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला, एडीएम सिटी यमुनाधर चौहान, एडीएम प्रोटोकाल प्रशांत तिवारी मौजूद रहे।
जब ग्रामीण भूखे तो मैं क्यों नहीं
आपरेशन उटंगन के दौरान सुबह से लेकर रात तक बड़ी संख्या में ग्रामीण बैठे रहते थे। खाना नहीं खा रहे थे। डीएम ने कई ग्रामीणों ने समझा बुझाकर घर भेजा। डीएम का कहना है कि जब ग्रामीण भूखे हैं तो वह कैसे खाना खा सकते हैं। पांच दिनों तक कुसियापुर में डेरा जमाए रहे।
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