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    गंगाधर शास्त्री की सातवीं पीढ़ी ने सौंपे दस्तावेज, Agra College में बनेगा विदेशी भाषा अध्ययन केंद्र

    By Ajay Dubey Edited By: Prateek Gupta
    Updated: Fri, 21 Nov 2025 06:59 PM (IST)

    आगरा कॉलेज में गंगाधर शास्त्री की सातवीं पीढ़ी ने दस्तावेज सौंपे, जिससे कॉलेज में विदेशी भाषा अध्ययन केंद्र की स्थापना का रास्ता खुल गया है। ये दस्तावेज कॉलेज के इतिहास और शास्त्री जी के योगदान को दर्शाते हैं। यह केंद्र छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगा और शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

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    आगरा कालेज।

    जागरण संवाददाता, आगरा। पंडित गंगाधार शास्त्री द्वारा दान की गई जमीन पर 1823 में स्थापित हुए आगरा कालेज के 203वें स्थापना दिवस पर 35 बीघा जमीन पर नए भवनों का शिलान्यास किया गया।

    यहां गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर विदेशी भाषा अध्ययन केंद्र, शोध कार्य को बढ़ावा देने के साथ ही परीक्षा कक्ष बनेगा। शुक्रवार को आगरा कालेज में आयोजित समारोह में शामिल हुए पंडित गंगाधर शास्त्री की सातवीं पीढ़ी ने कालेज प्रशासन को महत्वपूर्ण दस्तावेज सौंपे हैं।

    आगरा कालेज प्राचार्य आवास के पीछे की 35 बीघा जमीन को कुछ दिन पहले की अतिक्रमण मुक्त कराया गया है। इस जमीन को गंगाधर शास्त्री मंडप नाम दिया गया है।

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    कालेज के द्विशताब्दी वर्ष के तहत 203 वें स्थापना दिवस समारोह का आकर्षण गांव करहरी, औरंगाबाद, बिहार से आए पंडित गंगाधर शास्त्री की सातवीं और आठवीं पीढ़ी रही।

    सातवीं पीढ़ी के औरंगाबाद में गणित के शिक्षक श्यामदत्त मिश्रा और उनके साथ आए आठवीं पीढ़ी के उनके भतीजे पंडित आयुष, पंडित रोशन और प्रभाकर मिश्र ने आगरा कालेज की स्थापना से जुड़े फारसी, अरबी भाषा के दस्तावेजों के साथ ही इतिहासकारों के उल्लेख से संबंधित दस्तावेज कालेज प्रशासन को उपलब्ध कराए हैं।

    समारोह में इन सभी को सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि आगरा कालेज का यह आयोजन पंडित गंगाधर शास्त्री को सच्ची श्रद्धांजलि है, जिन्होंने दो सौ वर्ष पूर्व शिक्षा के लिए यह पवित्र भूमि समाज को समर्पित की थी।

    उन्होंने कहा कि नए शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना न केवल महाविद्यालय बल्कि प्रदेश की उच्च शिक्षा प्रणाली को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान देगी।

    आगरा कालेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि छात्र अपने शिक्षकों के आचरण से प्रेरणा लेते हैं और शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे छात्रों को सही दिशा दें।

    प्राचार्य प्रो. सीके गौतम ने कहा कि 21 नवंबर 1823 को आगरा कालेज की स्थापना हुई थी। 100 वर्ष पूरे होने पर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के वायसराय अर्ल ऑफ रीडिंग का कार्यक्रम हुआ था।

    इसके कुछ दिन बाद ही आगरा कलेज में महात्मा गांधी ने विद्यार्थियों शिक्षकों को संबोधित किया था। 1927 में आगरा विश्वविद्यालय की स्थापना भी आगरा कालेज के तत्कालीन प्राचार्य के मार्गदर्शन में हुई थी।

    120 वर्ष पूरे होने पर तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद और 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में पंडित दीनदयाल उपाध्याय आए थे। द्विशताब्दी वर्ष में कालेज की 35 बीघा जमीन जिसको अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए पूर्व प्राचार्य डा. मुख्तार सिंह ने भी प्रयास किए थे।

    कालेज नवाचार और शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा। छात्रों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं, वार्षिक पत्रिका वाणी के द्विशताब्दी वर्ष विशेषांक का विमोचन किया गया। सेवानिवृत प्राचार्य और शिक्षकों को सम्मानित किया गया।

     

    इनका हुआ लोकापर्ण और शिलान्यास

    आचार्य चाणक्य परीक्षा भवन, गणेश शंकर विद्यार्थी पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययन संस्थान, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर विदेशी भाषा अध्ययन केंद्र, पं. गंगाधर शास्त्री प्राच्य विद्या, भाषा एवं संस्कृति अध्ययन केंद्र, डा. भीमराव अंबेडकर सामाजिक न्याय अध्ययन केंद्र, ब्रज कौशलधाम कौशल विकास संस्थान, यूजीसी-एचआरडी अकादमिक स्टाफ कालेज व आगरा कालेज अतिथि गृह।