यूपी के इस जिले में बढ़ा प्रवासी पक्षियों का कुनबा, हजारों किमी की यात्रा कर यहां डालते हैं डेरा
उत्तर प्रदेश के एक जिले में प्रवासी पक्षियों की संख्या में वृद्धि हुई है। ये पक्षी हजारों किलोमीटर दूर से आकर यहां अस्थायी रूप से निवास करते हैं। इनके आगमन से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलता है और यह पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है।

जागरण संवाददाता, आगरा। प्रवासी पक्षी, जो हजारों किलोमीटर की यात्रा कर विभिन्न देशों और महाद्वीपों के बीच आते-जाते हैं, प्रकृति के अनोखे दूत हैं। भोजन, पानी और प्रजनन के लिए अनुकूल जलवायु और पर्याप्त संसाधन मिलने पर आगरा में सैकड़ों की संख्या में डेरा डालने लगे हैं।
आगरा कालेज के प्राणि विज्ञान के प्रो. विश्वकांत गुप्ता ने बताया कि भारत में सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षी सेंट्रल एशियन फ्लाई-वे के माध्यम से आगरा और अन्य क्षेत्रों में पहुंचते हैं। जिले में पर्याप्त सुविधा मिलने पर इनका कुनबा अब बढ़ गया है। अब एक दर्जन से अधिक प्रजाति के सैकड़ों पक्षी डेरा जमाते हैं।
एशिया के 30 देशों को जोड़ता है
यह मार्ग यूरोप और एशिया के 30 देशों को जोड़ता है, जिसमें जार्जिया, यूक्रेन, ईरान, कजाकिस्तान, मंगोलिया, रूस, साइबेरिया और तिब्बत जैसे देश शामिल हैं। ये पक्षी 5,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर आगरा की जलवायु और आवास का लाभ उठाने आते हैं। शोधकर्ता निधि यादव के अनुसार, आगरा में सर्दियों में जलीय और स्थलीय दोनों प्रकार के प्रवासी पक्षी देखे जाते हैं।
इनमें डोमिसाइल क्रेन, बार-हेडेड गूज, ग्रेटर फ्लेमिंगो, रोजी पेलिकन, नार्दन शोवलर, इंडियन स्कीमर, पाइड एवोसेट, ब्लैक-टेल्ड गोडविट, सिनेरियस वल्चर, हिमालयन ग्रिफन, रोज फिंच और साइबेरियन स्टोनचैट जैसी प्रजातियां शामिल हैं। ये पक्षी सूर सरोवर पक्षी विहार, चंबल क्षेत्र, यमुना नदी के किनारे, सेवला वेटलैंड, फतेहपुर सीकरी और खारी नदी जैसे स्थानों पर बड़ी संख्या में देखे जा सकते हैं। विश्वविद्यालय के शोधार्थी शमी सईद और अब्दुल कलाम ने बताया कि ये स्थान प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित ठिकाने हैं।
उड़ानें होती हैं रोचक
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के पक्षी विशेषज्ञ डा. केपी सिंह के अनुसार, प्रवासी पक्षियों की उड़ान संरचनाएं अत्यंत रोचक होती हैं। ये पक्षी 'वी' और 'जे' आकार की चार प्रकार की संरचनाओं के अलावा मर्मुरेशन और इकेलान जैसी उड़ान रचनाओं का उपयोग करते हैं। ये संरचनाएं उड़ान के उद्देश्य के अनुसार बदलती रहती हैं।रात में लंबी दूरी की उड़ानों के दौरान पक्षी 'फ्लाइट काल्स' का उपयोग करते हैं, जो प्रजाति-विशिष्ट होती हैं।
ये काल्स झुंड को एकजुट रखने और बिछड़े पक्षियों को फिर से जोड़ने में मदद करती हैं। प्रवासी पक्षी सूर्य, चंद्रमा, तारों की स्थिति और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र जैसे प्राकृतिक चिह्नों का उपयोग कर अपनी यात्रा की दिशा तय करते हैं। नदियां और पर्वत शृंखलाएं जैसे भू-चिह्न भी उनकी यात्रा में सहायक होते हैं। कुछ प्रजातियां तो गंध के आधार पर भी दिशा निर्धारित करती हैं, जो उनकी असाधारण क्षमता को दर्शाता है।
संरक्षण की है जरूरत
विश्व प्रवासी पक्षी दिवस हमें इन पक्षियों के संरक्षण की महत्ता को समझाता है। बढ़ते शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और आवासों के नुकसान के कारण इनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। आगरा जैसे क्षेत्रों में इनके ठिकानों को संरक्षित करने और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे ये पक्षी हर साल धरती में प्राकृतिक रोमांच के रंग भरते रहें।

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