मुगलों को था ज्योतिष में विश्वास, सीकरी में अकबर के नजूमी की बैठक और कछपुरा में हुमायूं की वैधशाला है इसका प्रमाण
मुगल शासकों का ज्योतिष में अटूट विश्वास था, जिसके साक्ष्य आज भी आगरा में मौजूद हैं। हुमायूं ने कछपुरा में वैधशाला बनवाई, जिसके अवशेष अभी भी हैं। फतेहपुर सीकरी में अकबर के नजूमी की बैठक भी है। बाबर युद्ध से पहले ज्योतिषियों से सलाह लेता था, और हुमायूं ज्योतिष के अनुसार ही वस्त्र पहनता था। जहांगीर ने सिंह राशि के सिक्के जारी किए थे।

फतेहपुर सीकरी और आगरा में बनी हुमांयू की वैधशाला।
निर्लोष कुमार, आगरा। दुनिया में ऐसे अनगिनत लोग हैं, जो प्रतिदिन अपना राशिफल जरूर पढ़ते हैं। मुगलों को भी ज्योतिष पर काफी विश्वास था।
पूर्व विदेश राज्य मंत्री और वरिष्ठ पत्रकार एमजे अकबर ने मुगल शासकों के ज्योतिष पर विश्वास पर पुस्तक ''''आफ्टर मी, केओस: एस्ट्रोलाजी इन द मुगल एंपायर'''' लिखी है। आगरा में तो मुगलों के ज्योतिष पर विश्वास के प्रबल साक्ष्य उपलब्ध हैं।
यमुना पार कछपुरा में हुमायूं ने वैधशाला बनवाई थी, जिसका अवशेष ग्यारह सीढ़ी है। अकबर के नजूमी (ज्योतिषी) की तो फतेहपुर सीकरी में बैठक आज भी बनी हुई है।
मुगल वंश की नींव बाबर ने रखी थी। वर्ष 1526 में पानीपत के युद्ध में इब्राहिम लोदी को हराने के बाद बाबर आगरा आया था। वह अपने साथ ज्योतिषी रखता था। वर्ष 1527 में खानवा के मैदान में राणा सांगा से युद्ध से पूर्व उसने ज्योतिषी से परामर्श किया था।
उसने युद्ध में बाबर की हार की बात कही थी, लेकिन खानवा के युद्ध में उसकी जीत हुई थी। बाबर के बाद गद्दी पर बैठे उसके बेटे हुमायूं पर ज्योतिष का सर्वाधिक प्रभाव था। वर्ष 1530 में आगरा किला में सिहांसन पर बैठे हुमायूं ने कछपुरा में वैधशाला का निर्माण कराया था।
इसके अवशेषों में एक शिला की बनी ग्यारह सीढ़ी और उसके नजदीक स्थित बाबड़ी ही बचे हैं। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है। अकबर भी ज्योतिष पर विश्वास करता था। फतेहपुर सीकरी में दीवान-ए-खास परिसर में आंख-मिचौली के पास नजूमी की बैठक है।
लाल बलुआ पत्थरों से बनी मंडपनुमा बैठक में अकबर का ज्योतिषी बैठा करता था। जहांगीर ने सिंह राशि के सिक्के चलवाए थे। शाहजहां ने दाराशिकोह की शादी के समय ज्योतिषी से परामर्श लिया था।
इतिहासविद राजकिशोर राजे ने बताया कि बाबर के ज्योतिष प्रेम का उल्लेख बाबरनामा में मिलता है। हुमायूं पर ज्योतिष का सर्वाधिक प्रभाव था। ज्योतिषी की सलाह पर ही वह सात रंग के कपड़े पहनता था।
असीरगढ़ के युद्ध में जीत के लिए अकबर ने मंत्र पढ़वाए थे। जहांगीर ने तुजुक-ए-जहांगीरी में ज्योतिष का उल्लेख किया है।

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