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    सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा ताजमहल समेत इन स्मारकों के पास हुए अवैध निर्माण का मुद्दा, ये बड़ा कदम उठाने जा रहा ASI

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 04:02 AM (IST)

    ताजमहल और अन्य संरक्षित स्मारकों के आसपास हुए अवैध निर्माणों का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। ताजमहल के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए तैयार विजन डॉक्यूमेंट पर सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (CEC) ने कार्ययोजना के साथ-साथ अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के आदेशों की सूची भी संलग्न की है।    

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    जागरण संवाददाता, आगरा। ताजमहल समेत अन्य संरक्षित स्मारकों के आसपास हुए अवैध निर्माण सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए हैं। ताजमहल के सैकड़ों वर्षों तक संरक्षण को तैयार विजन डाक्यूमेंट पर सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने कार्य योजना उपलब्ध कराने के साथ ही अवैध निर्माणों के ध्वस्तीकरण के आदेश की सूची भी संलग्न की है।

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    यह सूची भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआइ) में उपलब्ध कराई गई थी। इनमें से अधिकांश मामलों में कार्रवाई नहीं की गई है। सुप्रीम कोर्ट अगर इसका संज्ञान लेता है तो अवैध निर्माण होने पर उसे रोकने को एक-दूसरे के पाले में गेंद फेंकने वाले जिम्मेदार विभागों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

    कदम उठान जा रहा एएसआइ कदम 

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ताजमहल के सैकड़ों वर्षों तक संरक्षण के लिए पर्यटन विभाग ने स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, दिल्ली से विजन डाक्यूमेंट तैयार कराया था। वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट में जमा किए गए विजन डाक्यूमेंट पर न्यायालय ने सीईसी से व्यापक कार्य योजना तैयार कर उपलब्ध कराने को कहा था। सीईसी ने सभी स्मारकों की कैरिंग कैपेसिटी (वहन क्षमता) निर्धारित करने की सिफारिश की है, जिसके लिए एएसआइ कदम उठाने जा रहा है।

    स्मारकों के आसपास होने वाले अवैध निर्माणों से उन्हें बचाने पर भी सीईसी ने ध्यान दिया है। ताजमहल उपमंडल में जनवरी, 2013 से सितंबर, 2021 तक ध्वस्तीकरण के 107 आदेशों और सिकंदरा उपमंडल में अप्रैल, 2013 से सितंबर, 2022 तक 574 ध्वस्तीकरण के आदेश हुए थे। पर्यावरण कार्यकर्ता डा. शरद गुप्ता ने स्मारकों के पास अवैध निर्माणों पर कार्रवाई का सुझाव सीईसी को दिया था।

    उन्होंने अपने सुझाव में कहा था कि स्मारकों के पास अवैध निर्माण और अतिक्रमण रोकने में अधिकारी पूरी तरह विफल हैं। इससे स्मारकों की सुंदरता तो प्रभावित हो ही रही है, कुछ स्मारकों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। स्मारकों के पास अवैध निर्माण व अतिक्रमण रोकने को नियमित निगरानी की जाए।

    एएसआइ तहरीर तक सीमित

    अवैध निर्माण होने पर एएसआइ संबंधित थाना में तहरीर देने तक सीमित रह जाता है। जांच के बाद पुलिस मुकदमा दर्ज कर लेती है। मामला न्यायालय पहुंच जाता है। अब तक फतेहपुर सीकरी से संबंधित दो मामलों में ही सजा हुई है। वहीं, एडीए यह कह देता है कि स्मारकों के पास अवैध निर्माण पर कार्रवाई एएसआइ को करनी चाहिए। इसके चलते अवैध निर्माण रुकने के बजाय बढ़ते जा रहे हैं।

    100 मीटर में नहीं हो सकता निर्माण

    प्राचीन स्मारक, पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम (विधिमान्यकरण व संशोधन), 2010 के अनुसार संरक्षित स्मारक की 100 मीटर की परिधि प्रतिनिषिद्ध क्षेत्र कहलाती है। इसमें कोई निर्माण या खनन नहीं किया जा सकता है। 100 मीटर की परिधि के बाहर 200 मीटर का दायरा विनियमित क्षेत्र कहलाता है। इसमें सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त कर काम कराया जा सकता है।