Trump Tariff: 50 प्रतिशत टैरिफ से थमेगा कारोबार, आगरा के व्यापारियों को है इस बात का इंतजार
Trump Tariff अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने से आगरा के कारोबारियों में चिंता है। जूता और हस्तशिल्प उद्योग पर इसका नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है। निर्यातकों का मानना है कि इससे ऑर्डर कम हो जाएंगे और कीमतें बढ़ जाएंगी। हस्तशिल्प निर्यातकों को भी मंदी की मार झेलनी पड़ सकती है क्योंकि अमेरिका उनका एक बड़ा बाजार है। उद्यमियों ने इस कदम पर चिंता व्यक्त की है।

जागरण संवाददाता, आगरा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 25 प्रतिशत और टैरिफ बढ़ा दिया है। इसके पहले बढ़ाया टैरिफ 25 प्रतिशत सात अगस्त से लागू होना ही था कि उसकी पूर्व संख्या पर उतना ही और बढ़ा दिया।
अमेरिका के इस कदम ने कारोबारियों की धड़कने बढ़ा दीं है। कारोबारियों को द्विपक्षीय व्यापार समझौते का इंतजार है। पहले से प्रभावित चल रहे निर्यात को और घटने की आशंका प्रबल हो गई है। 10 प्रतिशत टैरिफ से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाना निश्चित तौर पर कारोबारियों के लिए बढ़ा झटका है। अब बढ़ाए टैरिफ को 27 से लागू किए जाने की घोषणा की गई है।
अमेरिका ने दो अप्रैल को भारत पर 26 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, लेकिन इस पर 90 दिन के लिए रोक लगा दी थी। समय सीमा पूरी होने से पहले एक अगस्त तक के लिए विस्तार दिया था, लेकिन डेढ़ प्रतिशत की वृद्धि कर 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ लगा दिया था।
इस दौरान ट्रेड डील को लेकर वार्ता हुई थी, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका था। अमेरिका ने 31 जुलाई को 25 प्रतिशत टैरिफ किए जाने की घोषणा की। इस घोषणा के बाद से कारोबारियों ने माना कि जूता निर्यात पर काफी प्रभाव पड़ेगा।
निर्यातक चंद्रवीर सिंह का कहना है कि पहले से ही आर्डर फंसे हुए थे। नए टैरिफ से जूता की कीमतों में और बढ़ोत्तरी हो जाएगी। इसके साथ ही आर्डर मिलना कम हो जाएंगे।
जूता उद्यमी प्रदीप सिंधवानी का कहना है कि चार हजार करोड़ के निर्यात में से 300 करोड़ से अधिक अमेरिका होता है। टैरिफ लागू होने मांग पर असर पड़ेगा।
सवाल ये है कि इस भार को अमेरिका कितने दिनों तक उठा सकेगा। प्रतिस्पर्धी और पड़ोसी देश बांग्लादेश और चीन पर हमारे यहां से अधिक टैरिफ है।
उद्यमी रमेश कुमार त्यागी ने बताया कि आगरा से हस्तशिल्प का कुल 1200 करोड़ से अधिक का निर्यात में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी अमेरिका की है। ऐसे में हस्तशिल्प को तो और मंदी की मार झेलनी पड़ेगी। अब 50 प्रतिशत टैरिफ का कारोबार पर बुरा असर पड़ेगा।
अमेरिका के इस कदम से निश्चित तौर पर निर्यात के कारोबार पर बुरा असर पड़ेगा। जूता कारोबार अमेरिका में अन्य देशों से अधिक है। ऐसे में बढ़ाए गए टैरिफ से भारत के साथ ही अमेरिकी भी प्रभावित होंगे।
चंद्रमोहन सचदेवा, जूता निर्यातक
दुनिया में निर्यात का पचास प्रतिशत हस्तशिल्प उत्पाद अमेरिका जाता है। बढ़े टैरिफ से सभी तरह के आयटम और महंगे होंगे तो लोग केवल जरूरत की चीतों की ओर ही ध्यान देंगे। इस कदम से कारोबार प्रभावित होगा।
अनुराग मित्तल, हस्तशिल्प उत्पाद निर्यातक
टैरिफ का भार पचास प्रतिशत हो गया है। अमेरिका के इस कदम से कारोबार प्रभावित होगा। दुनियाभर में इसका असर दिखाई देगा। यह कदम उद्यमियों के लिए चिंता का विषय है।
राजकुमार जैन, जूता निर्यातक
इसके पहले 25 फिर 25 प्रतिशत टैरिफ का बढ़ाया जाना एक बड़ा भार है, जिससे कारोबार और कारोबारी प्रभावित होंगे। अमेरिकी आर्डर तो पहले से न के बराबर थे अब और उम्मीद खत्म हो जाएगी।
राजेश खुराना, जूता निर्यातक
ये होता है टैरिफ
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में टैरिफ या कस्टम ड्यूटी का अर्थ, किसी वस्तु के आयात पर लगाया जाने वाला शुल्क। आयातक यह शुल्क सरकार को देते हैं। इसका बोझ आमतौर पर अंतिम उपभोक्ता पर पड़ता है।
रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जो देश अमेरिकी सामान पर जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी उस देश के सामान पर उतना ही टैरिफ लगाएगा।
ये है आंकड़ा
- एक हजार से 1200 करोड़ का निर्यात
- 300 करोड़ का लोकल कारोबार
- छह हजार से अधिक है जूते की छोटी, बड़ी इकाई
- साढ़े तीन लाख से अधिक लोगों को दे रहे रोजगार
- निर्यात में 25 प्रतिशत आगरा की भागीदारी
- 65 प्रतिशत से अधिक घरेलू बाजार पर भी कब्जा
- 70 से अधिक देशों में होता है निर्यात
- चार से पांच हजार करोड़ का निर्यात
- 18 हजार करोड़ का है लोकल कारोबार
- हस्तशिल्प की दो हजार छोटी, बड़ी इकाई
- 50 से 75 हजार लोग हैं आश्रित
- 35 देशों से अधिक में होता है निर्यात
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