UP Chakbandi: यूपी में चकबंदी को लेकर योगी सरकार का फैसला, इस व्यवस्था में बड़े बदलाव की तैयारी
उत्तर प्रदेश सरकार ने चकबंदी प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए इसे ऑनलाइन करने का फैसला किया है। एक विशेष पोर्टल के माध्यम से चकबंदी से जुड़े सभी कार्य आसानी से किए जा सकेंगे जिससे समय की बचत होगी और रिकॉर्ड में हेरफेर की संभावना कम होगी। एआई और ड्रोन का उपयोग भी किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। चकबंदी प्रक्रिया को सरल व पारदर्शी बनाने के लिए योगी सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। प्रदेशभर के लिए एक विशेष पोर्टल तैयार किया गया है। इसके माध्यम से सभी जिलों में चकबंदी की प्रक्रिया पूरी होगी। चक (गाटाओं) के बंटवारे से लेकर अन्य अभिलेख तक इससे अपलोड होंगे। अभी तक जिस कार्य को पूरा करने में वर्षों बीत जाते हैं, वह इस पोर्टल से दो-दो दिन में पूरा हो सकेंगे। रिकॉर्ड के हेरफेर पर भी अंकुश लगेगा। जिले में फिलहाल चार गांव में चकबंदी संचालित हैं। इसमें सबसे बड़ा गांव साथिनी है।
चकबंदी से हर गांव में सार्वजनिक कार्यों के लिए भूमि चिह्नित होती है। चकबंदी के लिए ग्राम पंचायत की भूमि प्रबंधक समिति जिला स्तर पर आवेदन करती है। इसके बाद डीएम उस पर संस्तुति करके रिपोर्ट शासन को भेजते हैं। वहां से धारा 4 की घोषणा होती है। फिर चकबंदी विभाग गांव में सर्वे शुरू कर देता है।
सबसे पहले सरकारी जमीन की स्थिति को देखा जाता है। फिर गांव में खुली बैठक में तय होता है कि गांव के लोग किस-किस काम के लिए सार्वजनिक भूमि का चिह्नित कराना चाह रहे हैं। सभी किसानों से ढाई प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण किया जाता है। जिले में फिलहाल चार गांव में चकबंदी प्रक्रिया संचालित हैं। इसमें इगलास का साथिनी, कोल का पिलखना व वरहद, गभाना का दहेली शामिल है। इनमें दो गांव में तो पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से चकबंदी चल रही है, लेकिन अभी तक यह पूरी नहीं हो पाई। प्रदेश के अन्य जिलों में भी चकबंदी के गांव का ऐसा ही हाल है।
ऐसे में अब प्रदेश सरकार ने व्यवस्था में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है। अब जल्द ही ऑनलाइन ही चकबंदी की पूरी प्रक्रिया संचालित होगा। एआइ व ड्रोन का भी प्रयोग होगा। इससे दस्तावेजों का विवरण एकत्र कर भूमि के आंकड़ों का संकलन करने में भी सक्षम होगा। खसरा, खतौनी व भूमि के नक्शे को चकबंदी के जीआइएस पोर्टल पर अपलोड करने में भी मदद मिलेगी। समय की भी बचत होगी। सभी काम आनलाइन होंगे। चकों का बंटवारा भी इसी के माध्यम से पूरा होगा।
पांच वर्ष में ज्यादातर गांव ने खींचे हाथ
2020 के बाद से जिले में चकबंदी के लिए 74 आवेदन आए थे। डीएम ने इन सभी को शासन को भेजा। वहां से धारा 4 की घोषणा कर दी गई। शासन की संस्तुति के बाद चकबंदी विभाग की टीम ने गांवों में जाकर सरकारी जमीनों की पड़ताल शुरू की तो खलबली मच गई। सामने आया है कि अधिकांश लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। ऐसे में अधिकतर गांव में लोगों ने अवैध कब्जों का विरोध करना शुरू कर दिया। राजस्व विभाग ने भी 70 गांव को चकबंदी से बाहर कर दिया। कुछ लोगों ने प्रक्रिया में लंबा समय समय लगने के चलते भी दूरी बना ली है।
इनके लिए यह होती है जमीन
चकबंदी में प्रशासन किसानों से जमीन लेकर उसे नाली, खड़ंजा, चकरोड, परिक्रमा मार्ग, श्मशानगृह, खेल मैदान, स्कूल की जमीन, खाद के गड्ढे समेत अन्य काम के लिए चिह्नित करता है।
चकबंदी में बड़े बदलाव की तैयारी है। अब ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से यह प्रक्रिया होगी। इससे वर्षों का काम काफी कम समय में हो सकेगा।- अखिलेश कुमार, एडीएम न्यायिक एवं उप संचालक चकबंदी
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