AmbedkarNagar News : महात्म्य मातृ-पितृ भक्ति के रूप में विख्यात है अंबेडकरनगर का श्रवण धाम
Shravan Dham of AmbedkarNagar धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक अयोध्या के राजा दशरथ त्रेता युग में यहां शिकार खेलने आए थे। तत्समय महात्मा श्रवण कुमार अपने अंधे पिता उद्यान ऋषि कथा माता चंद्रकला को कांवर में बिठाकर चारों धाम के लिए निकले थे। प्यास बुझाने के लिए वह यहां कुछ समय के लिए प्रवास किए थे।

जागरण संवाददाता, अंबेडकरनगर। जिला मुख्यालय से लगभग नौ किलोमीटर पश्चिम-दक्षिण पर कटेहरी ब्लाक के चिउटीपारा गांव में श्रवणधाम स्थित है। यहां भगवान श्रीराम, भोलेनाथ, बजरंगबली की मूर्ति स्थापना संग 165.15 लाख से पर्यटन विकास चल रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक के तीर्थयात्री अयोध्या संग यहां दर्शन को पहुंच चुके हैं।
मड़हा, बिसुही नदियों के तमसा के संगम तट पर स्थित श्रवण धाम का धर्मनगरी अयोध्या से सीधा नाता जुड़ा है। इसका महात्मय धार्मिक ग्रंथों में उल्लिखित है। धार्मिक ग्रंथों में इस स्थल का नाम प्रमोद वन भी है।
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक अयोध्या के राजा दशरथ त्रेता युग में यहां शिकार खेलने आए थे। तत्समय महात्मा श्रवण कुमार अपने अंधे पिता उद्यान ऋषि कथा माता चंद्रकला को कांवर में बिठाकर चारों धाम के लिए निकले थे। प्यास बुझाने के लिए वह यहां कुछ समय के लिए प्रवास किए थे।
अपने माता-पिता की प्यास बुझाने के लिए श्रवण कुमार पानी लेने गए। उनके पानी लेने के दौरान ही जल निकालने की आवाज को हिरण समझकर राजा दशरथ ने शब्दभेदी बाण छोड़ दिया। तीर लगने से श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई।
श्रवण कुमार के माता-पिता के पास पहुंचकर राजा दशरथ ने पश्चाताप करते हुए माफी मांगी। उन्होंने राजा दशरथ को पुत्र वियोग का श्राप दे दिया। इस स्थान का महात्म्य मातृ-पितृ भक्ति के रूप में जाना जाता है।
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