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    यूपी में पराली के बदले किसानों को क्या चीज मिल रही है? शुरू की गई नई योजना

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 06:12 PM (IST)

    अमेठी जिले में पशुपालन विभाग ने खेतों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए एक नई पहल की है। इसके तहत, किसान पराली देकर गोबर की खाद प्राप्त कर सकते हैं। गोआश्रय स्थलों पर पराली जमा करने पर किसानों को खाद दी जाएगी। इस योजना का उद्देश्य पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करना और किसानों को जैविक खाद के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना है।

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    संवाद सूत्र, तिलोई, (अमेठी)। खेतों में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने और किसानों को जागरूक करने की कवायद के बीच पशुपालन विभाग ने इसके उपयोग की पहल शुरू कर दी है। विभाग गोबर की खाद के बदले पराली लेने का अभियान चलाने का कार्य शुरू किया है। गोआश्रय स्थलों से संबंधित सचिवों और प्रधानों को निर्देशित किया गया है कि किसानों को जागरूक कर पराली के बदले गोबर की खाद ले जाने के लिए प्रेरित करें।

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    इस योजना के तहत पराली के बदले गाेआश्रय स्थलों से किसानों को गोबर की खाद उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए बीते दिनों पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने पशुपालन विभाग को किसानों को जागरूक कर पराली के बदले गोबर की खाद योजना को सफल बनाने के निर्देश दिए हैं।

    पशु चिकित्साधिकारी डा. राजनरायन ने बताया कि किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं। सरकार द्वारा किसानों पर जुर्माना लगाने के साथ कार्रवाई भी की जा रही है। ऐसे में किसानों के लिए पराली के बदले खाद लेना, एक बेहतर विकल्प साबित होगा।

    बताया कि किसान अपने खेत से पराली इकट्ठा कर गाेआश्रय स्थलों तक पहुंचाए। बदले में गोबर की खाद ले जाएं। गोआश्रय स्थल में पराली का बिछावन एवं कुट्टी काटकर आहार के रूप में प्रयोग किया जाएगा। पशु चिकित्सक ने बताया कि जिले में 126 गोआश्रय स्थल में से किसी भी जगह से अब तक पराली का आना शुरू नहीं हुआ है। वहीं इन गोआश्रय केंद्रों पर 22000 से अधिक गोवंश संरक्षित किए गए हैं।

    खेती के लिए गोबर की खाद बहुत उपयोगी है। देखने में आता है कि किसान लगातार रासायनिक खादों का उपयोग करते हैं। परिणाम स्वरूप उपजाऊ भूमि तो खराब हो ही रही है। उत्पादित अनाज भी गुणवत्ता विहीन है। ऐसे में किसान मौके का लाभ उठाएं और अपने खेतों की पराली गोआश्रय स्थलों तक पहुंचा कर वहां से गोबर की खाद लेकर अपने खेतों में डालें। हालांकि संबंधित सचिवों और ग्राम प्रधानों को इस बारे में जिम्मेदारी सौंपी गई है कि किसानों को जागरूक करके गोआश्रय स्थलों में पराली मंगवाकर उसके बदले किसानों को गोबर की खाद उपलब्ध कराई जाय। -डा. मनीष सचान, उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी