हमलावरों को छोड़ा, डायल-112 बुलाने वाले किसान को गुंडा-बदमाश बनाने की तैयारी; अमरोहा पुलिस की कार्यशैली पर 'दाग'
अमरोहा पुलिस ने डायल-112 बुलाने वाले किसान विपिन और उनके मित्र ललित पर ही झूठी FIR दर्ज कर दी। हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, राजनीतिक दबाव ...और पढ़ें
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प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, अमरोहा। पुलिस रस्सी का सांप कैसे बनाती है, इसकी बानगी शुक्रवार रात डिडौली कोतवाली में दर्ज हुई एफआइआर संख्या 0544 है। जिसमें गांव सरकड़ी अजीज निवासी हिमांक की तहरीर पर पुलिस ने दो नामजद व दो अज्ञात पर मारपीट व जान से मारने की धमकी देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। परंतु हैरत की बात तो यह है कि जिस समय घटना दर्शाई गई है उस समय दोनों आरोपित न सिर्फ घटनास्थल बल्कि डिडौली कोतवाली क्षेत्र में ही नहीं थे।
बगैर जांच पड़ताल आनन-फानन में राजनीतिक दबाव के चलते लिखी गई यह प्राथमिकी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रही है। लूट व चोरी की घटना के बाद पीड़ित को कई-कई दिन टरकाने वाली पुलिस ने इस मामले में दो लोगों पर कार्रवाई कर न सिर्फ नेताजी को खुश किया है बल्कि अपनी पीठ खुद थपथपाई है।
अब जरा इस घटना को लेकर कुछ तथ्यों का पोस्टमार्टम करते हैं। मूल रूप से गांव नारंगपुर निवासी विपिन वर्तमान में डिडौली कोतवाली क्षेत्र में हाईवे पर आइटीआइ कालेज के पास मकान बना कर परिवार सहित रहते हैं। जोया के मुहल्ला प्रेमनगर निवासी ललित उनके मित्र हैं। दो दिसंबर की शाम लगभग छह बजे विपिन व ललित किसी काम से गजरौला गए थे। लगभग साढ़े छह बजे दोनों गजरौला में थे।
लगभग सात बजे वह गजरौला में हाईवे किनारे स्थित एक शापिंग माल में मौजूद थे तो लगभग साढ़े सात बजे गजरौला क्षेत्र में स्थित एक ढाबा पर मौजूद थे। लगभग पौने आठ बजे दोनों वहां से घर के लिए निकले तो 7:58 बजे बजे के ललित के मोबाइल पर दीपांक नाम के युवक की काल आई। आरोप है कि दीपांक ने ललित व विपिन के साथ गाली-गलौज की। जिसकी रिकार्डिंग ललित के पास है।
उसके बाद विपिन व ललित घर आ गए। अब आरोप है कि लगभग 9:50 बजे विपिन के घर के बाहर तीन कार आकर रुकी तथा उसमें सवार कुछ युवकों ने गाली-गलौज शुरु कर दी। उनके हाथ में हथियार थे। अगले 15 मिनट के भीतर कार सवार युवक विपिन के घर के बाहर तीन बार आए तथा हथियार लहराते हुए धमकी दी। गेट में भी कार से टक्कर मारी।
लिहाजा विपिन ने 10:10 बजे डायल-112 पर काल कर पुलिस बुला ली तो आरोपित भाग गए। उसके बाद विपिन ने डिडौली प्रभारी निरीक्षक को काल पर सूचना दी। प्रभारी निरीक्षक की सूचना पर जोया चौकी प्रभारी हाईवे स्थित एक ढाबा पर पहुंचे तथा कार सवार दीपांक व उसके दो साथियों को चौकी ले आए। आरोप है कि विपिन के घर पहुंचने वाली कार में दीपांक व उसके साथी थे। परंतु
बाद में सभी को छोड़ दिया गया। उस समय तो यह मामला शांत हो गया था। परंतु पुलिस का असली खेल उसके बाद शुरू हुआ। तीन दिसंबर को पहले दीपांक ने डिडौली कोतवाली में तहरीर कि दो दिसंबर की रात 8 बजे विपिन व ललित ने 10-15 साथियों के साथ रास्ता रोक कर दीपांक व हिमांक से मारपीट की तथा सोने की चेन लूट ली है।
यदि घटना सही थी तो नियमानुसार पुलिस को जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए थी। परंतु ऐसा नहीं हुआ। चार दिसंबर को एक दूसरी तहरीर दीपांक के भाई हिमांक की तरफ से दी गई कि दो दिसंबर की शाम लगभग सात बजे वह अपने भाई दीपांक के साथ गाड़ी में तेल डलवाने पेट्रोल पंप जा रहा था।
आरोप लगाया कि नारंगपुर चौराहा पर विपिन व ललित ने अपने दो अज्ञात साथियों के साथ मिलकर उन्हें घेर लिया तथा मारपीट करते हुए जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने आव देखा न ताव, फौरन विपिन व ललित तथा दो अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज कर ली। यानि जिसके घर धावा बोलकर धमकी दी जा रही है तथा वह सुरक्षा के लिए पुलिस को बुला रहा है।
अब राजनीतिक दबाव के चलते उस पीड़ित को ही गलत साबित करने की तैयारी पुलिस ने कर ली है। साफ है कि अमरोहा पुलिस बगैर पड़ताल किए किसी के विरुद्ध भी प्राथमिकी दर्ज कर उसे गुंडा-बदमाश बनाने की काबलियत रखती है।
सारे प्रकरण में राजनीतिक रसूख के दबाव में रही खाकी
जिस प्रकरण में पुलिस को नियमानुसार जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए थी, डायल-112 बुलाने वाले से तहरीर लेकर आरोपितों पर प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए थी। एक राजनीतिक रसूखदार के चलते उस पीड़ित को ही आरोपित बना दिया। हैरत की बात तो यह है कि डिडौली कोतवाली क्षेत्र में घटना स्थल दिखाया 7 बजे दिखाया है, जबकि दोनों आरोपित उस समय गजरौला में थे। इस मामले में पुलिस को इशारे पर चलाने वाले यह नेताजी जिले के प्रत्येक थाने में खासा हस्तक्षेप रखते हैं।
पहली तहरीर को भूल गई पुलिस
इस मामले में तहरीर बदले जाने का खेल भी हुआ है। नेताजी के कहने पर पुलिस ने पहले दीपांक से तहरीर ली। परंतु उसमें झोल होता देख बाद में उसके भाई हिमांक से तहरीर लिखवा कर ली गई। जिसके आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया। परंतु पुलिस पहली तहरीर के बारे में भूल गई थी। अब पहली तहरीर व दर्ज प्राथमिकी की कापी इंटरनेट मीडिया पर पर प्रसारित हो रही हैं।
तहरीर के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। यदि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है तो मामले की निष्पक्ष जांच कर अग्रिम कार्रवाई कराई जाएगी।
- अमित कुमार आनंद, एसपी।
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