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    कागजों में रोशनी, अंधेरे में तिगरी मेला

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 15 Nov 2021 11:40 PM (IST)

    दिन रविवार। समय रात करीब साढ़े दस बजे। तिगरी गांव से होते हुए गंगा मंदिर पार कर जब मेले की वीआइपी रोड पर पहुंचे तो गड्ढे में बाइक फंसकर अनियंत्रित हो गई। सड़क पर रोशनी नहीं थी। सेक्टर एक के पास नाम मात्र को एक दुकान पर निजी लाइट जल रही थी। कुछ दूरी पर पहुंचे तो चंद लाइट जलती-बुझती नजर आईं।

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    कागजों में रोशनी, अंधेरे में तिगरी मेला

    अमरोहा, जेएनएन: कोरोना प्रकोप से उबरने के बाद इस बार तिगरी मेला लगा। जिला पंचायत ने पिछले मेले के की अपेक्षा इस बार अधिक बजट बनाकर ठेके उठाए ताकि बेहतर व्यवस्थाएं हो सकें। इसी उल्लास में श्रद्धालु समय से पहले रेतीली जमीन पर पहुंच भी गए। मगर मेलास्थल पर असुविधाओं को देखकर लोग निराश हैं। इसके बावजूद खुद ही फसल, सड़क और जमीन समतल कराकर तंबू लगाए। सोचा था, धीरे-धीरे सुविधाएं मुहैया होने लगेंगी लेकिन, ऐसा अब तक नहीं हुआ। मेला का शुभारंभ होने के बाद भी अनदेखी का अंधेरा छाया है। जबकि इस बार रोशनी कराने के नाम पर कागजों में 11 लाख 80 हजार खर्च किए गए हैं। हकीकत आप खुद तस्वीरों में देख सकते हैं। पेश है तिगरीधाम से सौरव प्रजापति की रिपोर्ट.. दिन रविवार। समय रात करीब साढ़े दस बजे। तिगरी गांव से होते हुए गंगा मंदिर पार कर जब मेले की वीआइपी रोड पर पहुंचे तो गड्ढे में बाइक फंसकर अनियंत्रित हो गई। सड़क पर रोशनी नहीं थी। सेक्टर एक के पास नाम मात्र को एक दुकान पर निजी लाइट जल रही थी। कुछ दूरी पर पहुंचे तो चंद लाइट जलती-बुझती नजर आईं। यह हाल तब था, जब यहां पर वीआइपी सेक्टर बने हुए हैं। आगे चले तो विधायक महेंद्र सिंह खड़गवंशी, उनके बाद विधायक राजीव तरारा, फिर प्रेसक्लब और उसके बाद मंडलायुक्त, डीआइजी, आइजी, डीएम, एडीएम व मेला मजिस्ट्रेट के शिविर बने हैं। इन वीआइपी शिविरों के आगे भी अंधेरा पसरा था। एक-दो शिविर के बाहर लाइट जरूर लगी थीं। सदर चौक पर जरूर कुछ लाइटिग होने का अहसास हुआ। यहां पर पूरी सड़क पर झालरें जगमगाती हुईं नजर आईं। चौक के अलावा किसी भी बाजार में रोशनी का मुकम्मल इंतजाम नहीं मिला। हद तो तब हो गई जब, पुलिस कर्मियों की चौकियां आबाद होने के बाद भी अंधेरे में डूबी मिलीं। तिगरी-कांकाठेर मार्ग पर ढलान नंबर दो पर खाकी के जवान ठंडक से बचने के लिए एक झोपड़ीनुमा खोमचे में बैठकर अंधेरे के साए में ड्यूटी करते मिले। उससे आगे भी यही स्थिति मिली। कमोबेश, सदर चौक व बाजार को छोड़कर अधिकांश जगह यही हालात बने हैं। सेक्टर 10 के बाद बिजली का नामोनिशान नहीं है। श्रद्धालु अपनी सौरऊर्जा से डेरे रोशन कर रहे हैं। शौचालय में भी अंधेरा पसरा हुआ है। यह हाल तब है, जब जिलाधिकारी ने शुरू से ही प्रकाश व्यवस्था के बारे में सख्त निर्देश देते हुए 10 नवंबर तक काम पूरा करने का अल्टीमेटम दिया था।। मगर समस्या अभी भी पहाड़ बनकर खड़ी है। जबकि रविवार की शाम आरती व हवन के साथ तिगरी गंगा मेले का शुभारंभ हो चुका है। श्रद्धालुओं का कहना है कि आए हैं तो आस्था के साथ पुण्य कमाकर जाएंगे। कुल मिलाकर सुविधाएं अब तक अच्छी नहीं हैं। जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी हरमीक सिंह ने बताया कि प्रकाश व्यवस्था के ठेकेदार को इन समस्याओं को दूर करने के लिए कहा गया है।

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