चौदह साल पहले गोली मारकर की थी हत्या, कोर्ट ने दोषियों को सुनाई आजीवन कारावास की सजा
14 साल पहले हुई एक हत्या के मामले में कोर्ट ने दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने गंभीर अपराध किया है। इस फैसले से पीड़ित परिवार को न्याय मिला है और उन्होंने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।

जागरण संवाददाता, औरैया। थाना दिबियापुर क्षेत्र के अंतर्गत बंबी रोड पर करीब चौदह साल पहले एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर देने के मामले में न्यायालय ने शनिवार को फैसला सुनाया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश मयंक चौहान ने दोषी धीरज सिंह, विजय पाल सिंह, अनिल राजपूत व जय सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अभियुक्तों पर 42-42 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया।
अभियोजन की ओर से मामले की पैरवी कर रहे जिला शासकीय अधिवक्ता अभिषेक मिश्रा ने बताया कि वादिनी मुकदमा गीता देवी पत्नी चंद्रशेखर निवासी ग्राम कन्हई का पुरवा ने थाना दिबियापुर में रिपोर्ट दर्ज कराई। तहरीर में लिखा कि नौ अक्टूबर 2011 को वह व उसके पति एक बाइक से व उसके पति के भांजे विनय कुमार पुत्र सुघर सिंह निवासी देवी का पुर्वा थाना फफूंद व उसके देवर रमाकांत दूसरी मोटर साइकिल से ग्राम कन्हई का पुरवा से दूध लेकर दिबियापुर वापस आ रहे थे।
शाम करीब छह बजे दिबियापुर बंबी रोड पर मेवालाल के मकान के पास धीरज पुत्र बलवीर सिंह निवासी रसूलपुर थाना अजीतमल, विजय पाल पुत्र पुत्तीलाल निवासी कठेला थाना इंदरगढ़ जिला कन्नौज, अनिल राजपूत पुत्र रामस्वरूप निवासी नगला गढ़ी थाना बेवर जिला मैनपुरी व दो अज्ञात व्यक्ति जिन्हें ये लोग सामने आने पर पहचान सकते हैं, दो बाइकों पर सवार लेकर पीछा करते हुए उसके पति की मोटर साइकिल को ओवरटेक करके रोक ली।
2011 में मारी थी गोली
सभी लोगों ने अपने-अपने हाथों में लिए तमंचों से एक राय होकर जान से मारने की नीयत से उसके पति के ऊपर फायर कर दिया। उसके पति को सिर व पेट में गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई। वह व उसके भांजे विजय कुमार, देवर रमाकांत चिल्लाए व बचाने को दौड़े तो उक्त सभी अभियुक्त जान से मारने की धमकी देते बाइक से आवास विकास कालोनी की ओर भाग गए। उसके पति को आठ अगस्त 2011 को लेकर जान से मारने की नीयत से गोली मारी गई थी। जिसका मुकदमा थाना फफूंद में पंजीकृत हुआ था।
इसी रंजिश के कारण अभियुक्तगण ने उसके पति की हत्या कर दी। इस घटना में उसके पति की हत्या की साजिश उसके गांव के जय सिंह उर्फ राजू पुत्र नाथूराम ने रची है, जो सेना में नौकरी कर रहा है। पुलिस ने नामजद रिपोर्ट दर्ज कर आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। विवेचना कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। यह मुकदमा न्यायालय जिला एवं सत्र न्यायाधीश में सुना गया। जिला शासकीय अधिवक्ता ने हत्यारों को कड़ी सजा देने का पक्ष रखा। दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत जिला एवं सत्र न्यायाधीश मयंक चौहान ने सजा सुनाई।
आयुध अधिनियम में दो-दो वर्ष का कारावास व चार-चार हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अधिरोपित अर्थदंड की आधी धनराशि मृतक के परिजन को अदा करने का भी आदेश दिया। अभियुक्तों को जिला कारागार इटावा भेज दिया गया। उक्त मामले के दोषी जमानत पर थे। जय सिंह उर्फ राजू सेना से सेवानिवृत्त हो चुका है। मृतक चंद्रशेखर पर आठ अगस्त 2011 को जमीनी विवाद में हुए जानलेवा हमले का मुकदमा जिला एवं सत्र न्यायाधीश में चल रहा है। इसमें सजायाफ्ता अनिल राजपूत, जय सिंह उर्फ राजू व तीन अन्य आरोपित हैं।

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