अयोध्या दीपोत्सव के दौरान रामपथ पर झांकियों ने लोगों को किया मंत्रमुग्ध, भक्त करते रहे सीताराम नाम का जप
अयोध्या में दीपोत्सव के अवसर पर रामपथ पर निकाली गई झांकियों ने दर्शकों को मोहित कर लिया। इन झांकियों में भगवान राम के जीवन से जुड़ी घटनाओं का प्रदर्शन किया गया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया। भक्तों ने सीताराम नाम का जाप किया और रामपथ पर भारी भीड़ उमड़ी। दीपोत्सव का यह भव्य आयोजन अयोध्या को एक नई पहचान दे रहा है।

रामपथ पर दोनों ओर खड़े भक्तों ने देखीं झांकियां।
प्रमोद दुबे, अयोध्या। साकेत महाविद्यालय में नई सुबह देखने को मिली। यहां सज्जित झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं। सुबह आठ बजे ही ये कतारबद्ध होकर रामकथा पार्क को प्रस्थान के लिए तैयार थीं। इन झांकियों के अभिनंदन में जगह जगह श्रद्धालु खड़े थे। रामपथ पर जैसे-जैसे 22 झांकियां आगे बढ़ती रहीं, वैसे वैसे इन्हें देखने वालों की संख्या बढ़ती गयी। झांकियों की गतिविधियों, नृत्य, रामायण के प्रसंग का मंचन देख रहे लोगों का तन मन झंकृत हो उठा।
सबकी दृष्टि भगवान राम, लक्ष्मण व सीता को खोजती रही। कई महिलाएं बच्चे को कंधे पर उठा कर झांकी देखती दिखीं। कोई राम, लक्ष्मण, माता सीता को देखता रहा तो कई रावण, शूर्पणखा के स्वरूप को। रावण की हंसी पर लोग ठहाका लगाते रहे। झांकी में भगवान राम के स्वरूप भक्तों को आशीर्वाद देते रहे।
झांकी के आगे कहीं कठघोड़वा तो कहीं अन्य प्रदेशाें के नृत्य ने समा बांधा। कई अन्य प्रदेशों के लोकनृत्य व झांकियों ने भी लोगों को आकर्षित किया। जनसरोकार को प्रदर्शित करती अनेक झांकियां भी आगे बढ़ती रही।
एक में धनुष बाण से लेकर मिसाइल तक सज्जित रही। भक्तों की निगाहें अपने राम को देखने के लिए व्याकुल रहीं। प्रत्येक प्रसंग में राम का स्वरूप चित्त को आनंद दे रहा था।
झांकी में लंकापति रावण, कुंभकरण, सूर्पणखा की भी पालकियां शामिल रहीं। रामपथ से भक्तिपथ तक जगह-जगह बैरीकेडिंग के बाहर पैदल पथ से लेकर भूमि पर बैठे श्रद्धालु सुबह से प्रभु राम की झलक पाने के लिए बेकरार दिखे।
रामनगरी के साथ ही हजारों किलोमीटर दूर का सफर तय कर कोलकाता, बेंगलुरु, कर्नाटक, उड़ीसा से श्रद्धालु यहां पहुंचे तो काफी संख्या में विदेशी श्रद्धालु शामिल रहे। इसमें बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सम्मिलित रहीं। झांकियां राम की पैड़ी के पास पहुंचीं तो राम का दर्शन पाते ही महिलाओं की आखों से खुशी के आंसू छलक उठे।
बेंगलुरु की 65 वर्षीय शांती, 55 वर्ष की पुष्पाजंलि, रामसुमेर पोखराज ने जय श्रीराम का जाप करते हुए कहा कि भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही अयोध्या आने की प्रतिज्ञा पूरी हुई। कहा शनिवार को मंदिर में प्रभु श्रीराम और रविवार को उनकी पालकियों को देख जीवन सफल हो गया। शाम को दिव्य दीपोत्सव में शामिल हाेने का अवसर मिला जो बहुत ही सुखद है।
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