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    अयोध्या में भोर से पंचकोसी परिक्रमा शुरू, लाखों श्रद्धालु पहुंचे; चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 09:15 AM (IST)

    शनिवार सुबह अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा का आरंभ हुआ, जो रविवार सुबह तक जारी रहेगी। इस धार्मिक आयोजन में भाग लेने के लिए लाखों श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं। परिक्रमा मार्ग पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, जिसमें फ्लाईओवर पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। पुलिस प्रशासन श्रद्धालुओं की सुरक्षित और सुगम यात्रा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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    जागरण संवाददाता, अयोध्या। अयोध्या। एक दिन के अंतराल पर पुनः आस्था की लहरों से रामनगरी सज्जित हुई । गुरुवार को 14 कोसी परिक्रमा के बाद शनिवार को पंचकोसी परिक्रमा की बारी थी। देवोत्थानी एकादशी की पुण्य बेला में रामनगरी की पंचकोसी परिक्रमा का मुहूर्त तो शनिवार को सुबह 4:02 बजे से लगा, किंतु परिक्रमा मार्ग पर आस्था का प्रवाह मुहूर्त से पहले ही उमड़ पड़ा। 

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    यह अवसर श्री राम और उनकी नगरी के प्रति समर्पण के चरम का परिचायक सिद्ध हो रहा था। लंबी पदयात्रा के माध्यम से प्रवहमान  आस्था के प्रवाह में युवा और प्रौढ़ थे ही, बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल थीं । यत्र-तत्र सेल्फी के साथ पथ पर आगे बढ़ रहे युवा परिक्रमा की परंपरा को नया आयाम दे रहे थे, तो कई सारे ऐसे समूह थे, जो राम धुन के साथ आस्था की चिर परिचित परंपरा जीवंत करते हुए आगे बढ़ रहे थे।

    परिक्रमा मात्र यात्रा के श्रम से आराध्य के प्रति समर्पण का साधन ही नहीं थी, बल्कि गहन अनुष्ठान के रूप में भी इससे जुड़ी आस्था छलक रही थी । इस सत्य के संवाहक परिक्रमा में शामिल वे लोग थे, जो पूर्ण मौन के साथ हाथ में सुमिरनी लेकर आराध्य का नाम जप करते हुए स्वतः स्फूर्त चेतना से आगे बढ़ रहे थे ।

    रामनगरी के प्रतिनिधि इतिहासवेत्ता एवं साहित्यकार डॉ हरिप्रसाद दुबे के अनुसार वस्तुतः यह  गहन अनुष्ठान ही परिक्रमा का मर्म है, हम परिक्रमा के माध्यम से आराध्या की गहरी से गहरी प्रतीति और प्रीति चाहते हैं और लोगों को इसकी अनुभूति भी होती है और इस सबके बीच परिक्रमा का साक्षी-सहचर बनना दिव्य एवं अलौकिक है ।

    समझा जाता है कि प्रथम बेला में ही परिक्रमार्थियों की संख्या 10 लाख के पार जा पहुंची और मुहूर्त खत्म होते-होते यह संख्या दोगुनी होने का अनुमान है । जगह जगह सेवा शिविर लगाकर परिक्रमा करने वालों की सेवा से भी आस्था ज्ञापित होती रही ।