Ayodhya Ram Mandir :राम मंदिर में लिफ्ट की सुविधा से अशक्त और वृद्ध श्रद्धालु को मिलेगा आराम
Lift to be installed in Ram Mandir प्रथम तल तक पहुंचने के लिए प्रशस्त सीढ़ियां तो थीं किंतु इससे अशक्त और वृद्ध श्रद्धालुओं का प्रथम तल तक पहुंचना कठिन था और इसी की भरपाई के लिए लिफ्ट लगाए जाने की परिकल्पना शुरू हुई। इसे संभव करना आसान नहीं था।

संवाद सूत्र, जागरण अयोध्या : भव्यता-विशालता के पर्याय राम मंदिर की मूल संरचना में लिफ्ट की परिकल्पना नहीं थी, किंतु राम मंदिर की कार्यदायी संस्था लार्सन एंड टुब्रो ने न केवल अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप इस चुनौती को स्वीकार किया, बल्कि दो माह के अंदर ही लिफ्ट के लिए ऐसा ढांचा खड़ा किया, जो राम मंदिर की मूल संरचना और गरिमा के अनुरूप सिद्ध हो रहा है।
राम मंदिर में बीती पांच जून को प्रथम तल पर राम दरबार की प्रतिष्ठा के साथ लिफ्ट की आवश्यकता अनुभूत होने लगी। प्रथम तल तक पहुंचने के लिए प्रशस्त सीढ़ियां तो थीं, किंतु इससे अशक्त और वृद्ध श्रद्धालुओं का प्रथम तल तक पहुंचना कठिन था और इसी की भरपाई के लिए लिफ्ट लगाए जाने की परिकल्पना शुरू हुई। इसे संभव करना आसान नहीं था।
लिफ्ट लगाया जाना किसी चुनौती से कम नहीं
राम मंदिर का प्रत्येक अंग-उपांग इतना नपा-तुला था कि उसमें कोई भी संशोधन करना मूल ढांचा से खिलवाड़ होता। ऐसे में लिफ्ट लगाया जाना किसी चुनौती से कम नहीं था। यद्यपि नवनिर्मित ढांचा में लिफ्ट संयोजित करने का काम एक सितंबर से शुरू होगा, किंतु लिफ्ट के लिए शेष मंदिर की तरह लाल बलुए पत्थर से निर्मित प्रखंड राम मंदिर को और रम्य-रोमांचक बनाने वाला है।
परकोटा की दीवार पर करीब 60 फीट ऊंचा टावर तैयार
लिफ्ट के लिए राम मंदिर के पृष्ठ में परकोटा की दीवार पर करीब 60 फीट ऊंचा टावर तैयार किया गया है और इस ढांचा के अंदर ही लिफ्ट संचालित होगी तथा लिफ्ट से उतरने वालों को परकोटा की सीमा से 25 मीटर दूर मंदिर की मुख्य संरचना तक जाना होगा और इसके लिए सौ फीट लंबा तथा 14 फीट चौड़ा कारीडोर बनाया गया है।
यह कारीडोर मंदिर के प्रथम तल पर स्थापित राम दरबार से परकोटा के पृष्ठ भाग के बीच आकर्षक और कवर्ड सेतु का भान कराता है। सेतु का भान कराने वाला कारीडोर करीब 20 स्तंभों पर टिका है और इन स्तंभों का भी निर्माण उसी शैली का है, जिस शैली के मंदिर के मूल स्तंभ हैं।
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