समझें इस बार का दीपोत्सव क्यों है खास, गृहस्थ हो या संत.... सब अपनी तरह से कर रहे हैं परिभाषित
इस बार की दिवाली अयोध्या में मनाएं और भगवान राम के भव्य मंदिर में उनके दर्शन करें। यह एक ऐसा अनुभव है जो आपको जीवन भर याद रहेगा। अयोध्यावासियों के लिए यह एक सौभाग्य का विषय है कि उन्हें प्रभु राम का दर्शन इस रूप में मिल रहा है। आइए इस दिवाली को अयोध्या में मनाएं और इस पवित्र नगरी की दिव्यता भव्यता और सुंदरता का अनुभव करें।
संवाद सूत्र, जागरण अयोध्या। इतिहास ने करवट ली और शताब्दियों का सपना पूरा हुआ। वैसे तो दीपावली हर वर्ष मनाई जाती है, लेकिन रामलला के भव्य प्रासाद में विराजने के बाद इस दीपावली का महत्व बढ़ गया है।
श्रद्धालुओं में आस्था हिलोरें मार रही हैं। गृहस्थ हों या साधु संत, राजनेता हो या आमजन, सब अपनी तरह से इसको परिभाषित कर रहे हैं। ऐसे में इस बार की दीपावली के क्या कहने...। इसे लेकर जागरण ने बुद्धिजीवियों से चर्चा की तो इसको लेकर लोगों के उद्गार सामने आये। प्रस्तुत है प्रमुख अंश :
साकेत महाविद्यालय के हिंदी विभाग के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष डॉ. जनार्दन उपाध्याय कहते हैं कि ये प्रसन्नता का विषय है। प्रकाश पर्व तो सदियों से मनाया जा रहा है। यह दीपावली हमें लोक में समरसता का संदेश देती है। इससे हमें यही सीख मिलती है कि आपसी सद्भाव और समरसता सामाजिक विकास के लिए आवश्यक है तथा मिलजुलकर रहने का कोई विकल्प नहीं।
साकेत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर प्रदीप खरे कहते हैं कि नये भवन में भगवान रामलला के विराजने के बाद बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। रामनगरी को नई पहचान मिल रही है। अब इसमें लोक सहभागिता भी बढ़नी चाहिए।
राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहे सोहावल ब्लाक के दीवान का पुरवा निवासी समरजीत पाठक कहते हैं कि यह अप्रतिम पल है। सदियों ने इसकी प्रतीक्षा की है। यह अयोध्यावासियों का सौभाग्य है कि उन्हें प्रभु राम का दर्शन इस रूप में मिल रहा है।
मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे खिरौनी निवासी राधेश्याम सिंह कहते हैँ कि बड़ी प्रतीक्षा के बाद यह स्वर्णिम पल आया है, जब रामलला की प्रथम दीपावली नये मंदिर में मनाई जा रही है। इसे देखकर ऐसा लगता है मानो नवजीवन मिल गया हो। यह अनुभूति कल्पना से परे है। तपस्या फलीभूत हो उठी है तथा दिव्य अनुभूति हो रही है।
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