दीपोत्सव और राम मंदिर से बहुरे कुम्हारी कला के दिन, मिट्टी की अनोखी कलाकृतियां देख दंग रह गए लोग
दशक भर पहले कुम्हारी कला लगभग खत्म हो रही थी, लेकिन 2017 से शुरू हुए दीपोत्सव ने कुम्हारों की स्थिति बदल दी। मिट्टी के दीयों की बिक्री में कमी के बाद दीपोत्सव ने कुम्हारों को नया रोजगार और उत्साह दिया, जिससे उनकी बस्ती में उमंग लौटी और वर्ष दर वर्ष उनके रोजगार में उन्नति हुई।
-1760884254436.webp)
जागरण संवाददाता, अयोध्या। यह दशक भर पहले की बात है। कुम्हारी कला अंतिम सांसें ले रही थी। सिर्फ मिट्टी के बर्तन या कलाकृतियां बना कर परिवार का पालन पोषण करने की बात कोई सोच भी नहीं सकता था लेकिन आज हालात बदल गए हैं। 2017 से शुरू हुए दीपोत्सव के बाद कुम्हारों की बस्ती में उमंग है।इन्हें कमाने खाने का नया रास्ता मिला। इससे पहले मिट्टी के दीयों की बिक्री कम हो गई थी, लेकिन जब से दीपोत्सव प्रारंभ हुआ, वर्ष दर वर्ष इनके रोजगार को उन्नति मिली है।
रामनगरी के जयसिंहपुर निवासी सुनील कुमार प्रजापति बताते हैं कि इस बार हम चार भाइयों ने मिलकर 50 हजार दीयों की आपूर्ति की है। उनका कहना है कि सरकार को मूल्य में वृद्धि करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि बावजूद इसके हमारे श्रम का इतना मूल्य तो मिल ही रहा है, जिससे परिवार चलाने में आसानी हुई है।
इतने दीयों की हुई आपूर्ति
बताया कि गांव से कुल दो लाख दीयों की आपूर्ति हुई है। वह बताते हैं कि जब से राम मंदिर बना तब से सर्वाधिक डिमांड चाय के कुल्हड़ की है। गांव में सभी लोग इससे खुश हैं। इसी गांव के बृजकिशोर प्रजापति कहते हैं कि योगी जी से हम संतुष्ट हैं। हाथ से चलाने वाले चाक से मुक्ति मिल गई। हमें इलेक्ट्रानिक चाक मिल गयी और अब तो सौर ऊर्जा की व्यवस्था की गई है।
इस बार दीयों की आपूर्ति करने वाले सचिन वैश्य ने बताया कि रामनगरी के आसपास के गांवों से 16 लाख दीयों की खरीदारी की गई है। इसमें जयसिंहपुर, पूराबाजार और गोसाईंगंज के कुम्हार आबादी वाले गांव सम्मिलित हैं। दीयों को आपूर्ति करने वाले मिंटू ने बताया कि इस बार तुंरत भुगतान मिला। वह बताते हैं कि जब से दीपोत्सव शुरू हुआ मिट्टी के बर्तनों की बिक्री तेज हुई है।
अखिलेश को भारतीय संस्कृति व मूल्यों से लेना देना नहीं : संजीव
दीपोत्सव में बेजा खर्च की बात करने वाले सपा मुखिया अखिलेश यादव पर कुम्हारों के साथ ही भाजपा जिलाध्यक्ष संजीव सिंह ने निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को भारतीय मूल्यों, परंपराओं व संस्कृति से लेना देना नहीं है। तभी वह सदियों से मन रहे दीपोत्सव के तरीके पर टिप्पणी कर रहे हैं।
उनके पिता व बाबा भी इस तरह दीपावली मनाते रहे। युगों से इस अवसर पर घी के दीपक जलाये जाते रहे हैं। श्रद्धापूर्वक भगवान राम के अयोध्या आगमन पर उत्सव मनाया जाता है। उन्होंने अखिलेश यादव पर प्रजापति बिरादरी की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। कहा जिस तरह अखिलेश कह रहे हैं, उस तरह दीपावली मनाई जाने लगी तो प्रजापति वर्ग की रोजी रोटी छिन जायेगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।