रामनगरी अयोध्या में प्रवाहित हो रही सीताराम विवाहोत्सव की रसधार, तेज हुई तैयारियां
रामनगरी अयोध्या में सीताराम विवाहोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। पूरे शहर में उत्साह का माहौल है और भक्त इस उत्सव को मनाने के लिए उत्सुक हैं। विवाहोत्सव के लिए विशेष आयोजन किए जा रहे हैं, जिससे रामनगरी भक्ति और आनंद से सराबोर है।

अयोध्या में प्रवाहित हो रही सीताराम विवाहोत्सव की रसधार।
संवाद सूत्र, अयोध्या। राम विवाहोत्सव मंगलवार को है, किंतु उत्सव की रसधार चार दिन पूर्व से प्रवाहित हो रही है। आचार्य पीठ दशरथमहल बड़ास्थान में गुरुवार से ही शुरू सात दिवसीय रामकथा माला का दूसरा पुष्प अर्पित करते हुए प्रख्यात कथाव्यास जगद्गुरु रत्नेश प्रपन्नाचार्य ने रामकथा में निहित लोकमंगल का विवेचन किया।
उन्होंने कहा कि जिस समय संसार में दुराचार, दुर्विचार का चारो तरफ प्रसार होने लगता है, अहिंसा, सत्य, धैर्य, न्याय आदि मानवोचित सद्गुणों का अपमान होने लगता है, दंभ का ही साम्राज्य हो जाता है।
वेद-शास्त्रोक्त धर्म का विलोप होने लगता है, धरा व्याकुल हो जाती है, सत्पुरुष तथा देवगण अनीति से उद्विग्न हो उठते हैं, उस समय सर्वपालक भगवान किसी न किसी रूप में प्रकट होकर श्रुति-सेतु का पालन करते हैं और अपने मनोहर, मंगलमय, परम पवित्र चरित्रों का विस्तार करके प्राणियों के लिए मोक्ष का मार्ग प्रशस्त कर देते हैं।
रामजन्म का सबसे बड़ा महत्व इसलिए है कि जिस तीर्थ में सारे लोग एकत्रित होते हैं, वहां कुंभ लगता है। जब सारे लोग कुंभ स्नान करके अपने पाप धुल देते हैं तो तीर्थों के अधिदेवता काले हो जाते हैं तब वे सारे तीर्थ रामजन्म के अवसर पर अपनी कालिमा धुलने अयोध्या आते हैं। रामकथा की रसधार के साथ लीला की प्रस्तुति भी विमोहित करने वाली सिद्ध हो रही है।
इससे पूर्व दशरथमहल पीठाधीश्वर महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य ने कथा का उद्घाटन करते हुए कहा, सीताराम विवाहोत्सव लोक मंगल का नियामक है।
दशरथमहल, रंगमहल, लक्ष्मणकिला, जानकीमहल में सीता-राम विवाह पर केंद्रित लीला की भी प्रस्तुति त्रेतायुगीन प्रसंग जीवंत करने के साथ दर्शकों को विभोर कर रही है। जानकी महल में रामार्चा महायज्ञ एवं सायं गणेश पूजन के साथ विवाहोत्सव का आरंभ शनिवार को होगा।
इस विवाह मंडप के साथ श्रीराम एवं ससीता की गहन अनुभूति
मधुर उपासना परंपरा की शीर्ष पीठ रंगमहल में लीला की प्रस्तुति के साथ सैकड़ों वर्ष पुराना सीताराम विवाह मंडप सज्जित किए जाने से उत्सव का क्रम आगे बढ़ा। काष्ठ कला का उत्कृष्ट उदाहरण यह विवाह मंडप ढाई सौ वर्ष पुराना एवं महान रसिक संत सरयूशरण के समय का है।
इस अष्टकोणीय जालीदार मंडप में श्रीराम और सीता के विवाह तथा दाम्पत्य के साथ सरयूशरण और उनकी गहन भक्ति की अनुभूति भी अवगुंठित है। रंगमहल के वर्तमान आचार्य रामशरणदास के अनुसार इस उत्सव के माध्यम से हम माता सीता एवं श्रीराम की प्रत्यक्ष प्रतीति करते हैं।

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