आजमगढ़ में अरणी मंथन से प्रज्वलित अग्नि वैदिक रीति-रिवाजों के साथ यज्ञ कुंड में स्थापित
आजमगढ़ में अरणी मंथन से उत्पन्न अग्नि को वैदिक रीति-रिवाजों के साथ यज्ञ कुंड में स्थापित किया गया। इस धार्मिक अनुष्ठान में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यह प्राचीन परंपरा सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और वातावरण को शुद्ध करती है।

यज्ञाचार्य पंडित धरणीधर पांडेय ने बताया कि भगवान विष्णु का मुख अग्नि रूप है।
जागरण संवाददाता, माहुल (आजमगढ़)। नगर पंचायत माहुल के सिद्धपीठ काली चौरा मंदिर में चल रहे श्री शक्ति मानस यज्ञ के तीसरे दिन सोमवार को अरणी मंथन का आयोजन किया गया। इस मंथन से उत्पन्न अग्नि को यज्ञ कुंड में स्थापित कर आहुति दी गई। इसके पश्चात श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की।
यज्ञाचार्य पंडित धरणीधर पांडेय ने बताया कि भगवान विष्णु का मुख अग्नि रूप है। जगत के पालनहार भगवान विष्णु और समस्त देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए अरणी मंथन द्वारा यज्ञशाला में अग्नि प्रज्वलित की जाती है।
वेद की ऋचाओं और वैदिक मंत्रों के साथ यज्ञ करने से सम्पूर्ण चराचार जगत का कल्याण होता है। यज्ञ एक वैदिक परंपरा है, जिसका मुख्य उद्देश्य "सर्वे भवन्तु सुखिना, सर्वे संतु निरामया" की भावना को परिलक्षित करना है।
इस अवसर पर पंडित घनश्याम पांडेय, पंडित उदय प्रभाकर, चंदन दुबे, निशांत, अवधेश, कमल कांत शुक्ला, अटल बिहारी पांडेय, अविरल दूबे सहित अनेक विद्वान पंडित उपस्थित रहे। यज्ञ का यह आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जो समाज में एकता और सद्भावना का संदेश देता है।

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