बदायूं में ड्रग विभाग का खोखला अभियान: छापामारी के दावे, कार्रवाई के सबूत गायब
बदायूं में ड्रग विभाग के अभियानों पर सवाल उठ रहे हैं। विभाग छापेमारी के दावे तो कर रहा है, लेकिन कार्रवाई के कोई सबूत नहीं मिल रहे। स्थानीय लोगों ने भी किसी छापेमारी की पुष्टि नहीं की है, जिससे विभाग की कार्यशैली पर संदेह गहराता जा रहा है। विभाग के दावों और वास्तविकता में अंतर होने से लोगों में निराशा है।
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प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, बदायूं। जिस दौरान दीपावली से पहले कफ सिरप को लेकर देश भर में हलचल मची हुई थी। उस वक्त बदायूं का ड्रग विभाग भी लगातार मेडिकल स्टोंरों पर छापामारी करने का दावा कर रहा था। यह भी बताया गया था कि बदायूं में पांच लाख की नकली दवाएं खपा दी गईं। लेकिन ड्रग विभाग नकली दवाएं बेचने वालों तक नहीं पहुंचा या फिर उनके खिलाफ कार्रवाई ही नहीं की गई।
सब साठगांठ करके मामला रफादफा कर दिया गया। अभी भी विभाग के अधिकारी छापामारी करने का दावा कर रहे हैं। जिले में नकली दवाएं बेचने वाले के खिलाफ कार्रवाई न होने से ड्रग विभाग सवालों के घेरे में आ गया है। दीपावली से पहले मंडल भर के सभी जिलों में मेडिकल स्टोर पर छापामारी चल रही थी।
बरेली जिले में कई मेडिकल स्टोरों से नकली दवाएं बरामद होने की बात सामने आई थी और बदायूं के विभागीय अधिकारियों ने दावा भी किया था कि यहां भी पांच लाख की नकली दवाएं बेचने का मामला सामने आया है और एक मेडिकल स्टोर का नाम भी सामने आ रहा है।उस पर कार्रवाई के लिए मंडलीय टीम आने का इंतजार किया जा रहा था।
इसी दौरान दूसरे मेडिकल स्टोरों पर छानबीन शुरू कर दी गई और इसी तरह छानबीन करते-करते मामला रफादफा भी कर दिया गया। उसी वक्त मंडलीय टीम भी आई और चली भी गई। लेकिन विभागीय अधिकारी उस मेडिकल स्टोर पर गए ही नहीं। दावा रहा कि इस दौरान जिले भर के मेडिकल स्टोंरों से 15 सैंपल लिए और जिला अस्पताल में जाकर एक कफ सिरप के वितरण पर रोक लगाई गई।
इसके अलावा महीने भर चले अभियान के दौरान कोई कार्रवाई नहीं हुई। न तो कहीं से नकली दवा पकड़ी गई और न ही कोई अवैध मेडिकल स्टोर पर कार्रवाई हुई।
ड्रग इंस्पेक्टर बोले- गए थे कुछ नहीं मिला
इस बारे में ड्रग इंस्पेक्टर लवकुश प्रसाद से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि वह बताए गए मेडिकल स्टोर पर गए थे लेकिन वहां कुछ नहीं मिला। अब सवाल यह है कि वैसे तो ड्रग इंस्पेक्टर अपनी छापामारी के फोटो सूचना विभाग को उपलब्ध कराते हैं। अगर उस मेडिकल स्टोर पर गए तो उसके फोटो क्यों उपलब्ध नहीं कराए गए। आखिर उन्हें इतनी बड़ी सूचना कहां से मिली और फिर तुरंत ही छापामारी क्यों नहीं की गई। ऐसे तमाम सवाल हैं, जिनके जवाब ड्रग विभाग के अधिकारियों के पास नहीं हैं।

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