Updated: Tue, 16 Sep 2025 07:02 PM (IST)
बदायूं में एक अदालत ने गैरइरादतन हत्या के मामले में चार भाइयों को दस-दस साल की सजा सुनाई है। यह घटना 2015 में हुई थी जब वादी के पिता रामदास पर आरोपियों ने हमला किया था जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई थी। अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी पाते हुए सजा सुनाई।
जागरण संवाददाता, बदायूं। गैरइरादतन हत्या में अलग-अलग चार भाइयों को विशेष न्यायाधीश पाक्सो कक्ष संख्या-2 के न्यायाधीश नीरज कुमार गर्ग ने 10-10 साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही एक दोषी पर 14 हजार रुपये जबकि शेष अन्य तीन दोषियों पर 13-13 हजार रुपये जुर्माना डाला है।
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अभियोजन पक्ष के अनुसार, सात जून 2015 को समय 2:30 बजे वादी मुकदमा विपिन के पिता रामदास ग्राम बिहारीपुर में अपनी बैठक पर बैठे थे। उसी समय गांव के किशोरी लाल और ओमप्रकाश बैठक पर आए और उसके पिता से शिकायत करने लगे कि तुम्हारे लड़के विपिन कुमार, कुलदीप कुमार और अरविंद, रामपाल की पुत्री का रास्ता रोकते हैं। जबकि इस शिकायत में कोई सत्यता नहीं थी। वह लोग कुछ समझ पाते कि इसी दौरान ओमप्रकाश के पुत्र नन्हे व टीकाराम और श्यामपाल के पुत्र कप्तान व भूपेंद्र अपने हाथों में बंदूक, फरसा व लाठी लेकर आ गए और आते ही भूपेंद्र ने उसके पिता रामदास के पेट में बंदूक से गोली मार दी।
नन्हे ने मेरे भाई कुलदीप के हाथ के गट्टे में फरसा मारा, टीकाराम ने भाई अरविंद के गले पर फरसा मारा और कप्तान ने मेरी बहन रोशनी की पीठ में लाठी मारी। पिता गोली लगने से मौके पर ही गिर गए। मौके पर मौजूद उसने उसके बाबा दुर्गपाल, उसकी दादी सुशीला तथा भूदेव ने आरोपितों को ललकारा तो वह गालियां देते हुए भाग गए। पिताजी रामदास की इलाज के दौरान बरेली में मृत्यु हो गई।
दातागंज पुलिस ने मारपीट और हत्या के प्रयास में मुकदमा दर्ज किया था। जिसे बाद में गैर इरादतन हत्या में तरमीम कर दिया। इसके बाद नन्हे, टीकाराम, कप्तान व भूपेंद्र के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। न्यायालय में सभी चारों आरोपितों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या करने के आरोप का मुकदमा चलाया गया। न्यायाधीश ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। अभियोजन पक्ष के विशेष लोक अभियोजक वीरेंद्र सिंह व बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलीलों को सुनने के बाद उक्त आरोप में सभी को दोषी पाते हुए उन्हें सजा सुनाई है।
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