अमोनियम सल्फेट में गेरू मिलाकर बना रहे थे नकली खाद, गोदाम पर छापा मारा तो अधिकारी रह गए हैरान
बदायूं में नकली खाद बनाने का मामला सामने आया है। आसफपुर विकास खंड के गांव दूनपुर में अमोनियम सल्फेट में गेरू मिलाकर नकली खाद तैयार की जा रही थी। कृषि विभाग ने पुलिस के साथ छापा मारकर गोदाम को सील कर दिया। अधिकारियों के अनुसार डीएपी की अधिक मांग के कारण आरोपी एनपीके और बायो पोटास को डीएपी के पैकेट में भरकर बेच रहे थे।

जागरण संवाददाता, बदायूं। जिले में नकली खाद के कारोबार का भंडाफोड़ हुआ है। आसफपुर विकास खंड के गांव दूनपुर में अमोनियम सल्फेट में गेरू मिलाकर नकली खाद तैयार की जा रही थी। देर रात कृषि विभाग को इसकी सूचना मिली। इस पर कृषि अधिकारी ने पुलिस के साथ मौके पर पहुंच कर छापा मारा और गोदाम सील कर दिया। बुधवार को इसकी गहनता से जांच होगी और आगे की कार्रवाई की जाएगी।
नकली खाद की सूचना पर पहुंची टीम
जिला कृषि अधिकारी मनोज रावत के अनुसार देर रात सूचना मिली कि दूनपुर में सूरजपाल सिंह की गोदाम में नकली खाद बनाई जा रही है। इसी सूचना पर वह फैजगंज बेहटा थाने पहुंचे और पुलिस लेकर गोदाम में छापेमारी की। जहां मौके एनपीके और बायो पोटास जैसी खादों को डीएपी की बोरी में पैक किया जाता पकड़ा गया। यह लोग एनपीके व बायो पोटास को डीएपी की बोरी में भरकर उसकी पैकिंग कर रहे थे।
जांच में मिली मिलावट
जांच के दौरान मौके से पता चला कि यह लोग अमोनियम सल्फेट में गेरू मिलाकर एमओपी (म्यूरेट आफ पोटाश) भी बना रहे थे।
कृषि अधिकारी ने बताया मौके से गेरू, अमोनियम सल्फेट, सिलाई मशीन, डीएपी व एनपीके की खाली पैकेट, नए पैकेट व एनपीके से बनाई गई। डीएपी के पैकेट व कुछ अलग अलग किस्म के बीज के पैकेट भी बरामद हुए हैं।
डीएपी की मांग अधिक होने पर बेचने की फिराक में थे
बताया कि डीएपी की अधिक मांग होने के कारण यह लोग एनपीके व बायो पोटास को डीएपी के पैकेट में भर कर बेचने के फिराक में थे। वही अमोनियम सल्फेट और गेरू की मदद से नकली एमओपी भी बना रहे थे। रात होने के कारण उस समय तकनीकी जांच संभव नहीं थी इसलिए गोदाम सील कर दिया गया है। आज दोबारा जांच कर सेंपलिंग की जाएगी। इसके बाद आरोपित सूरज पाल सिंह व उनके साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएंगे।
महंगी बिक रही डीएपी
बता दें कि सरकारी दर के हिसाब से डीएपी व एनपीके की कीमत 1350 ही है जबकि बायो पोटास 850 रुपये प्रति कट्टा है। लेकिन डीएपी की मांग अधिक होने की वजह से वह 2000 रुपये तक बिक रही है। इसलिए यह लोग एनपीके और बायो पोटास को डीएपी के कट्टों में पैक कर रहे थे। जिससे उसे महंगे दामों पर बेचा जर्स सके।
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